अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान
मौदहा ब्लाक की एएनएम, सीएचओ और आशा संगिनी का प्रशिक्षण
शून्य से पांच साल के बच्चों में होने वाले निमोनिया की पहचान और बचाव को लेकर दिया गया प्रशिक्षण
हमीरपुर : शून्य से पांच साल के बच्चों को निमोनिया से बचाव को लेकर सोमवार को टीबी सभागार में मौदहा ब्लाक की एएनएम, सीएचओ और आशा संगिनी का एक दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रामअवतार सिंह ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाली सूजन/संक्रमण है। जिसमें फेफड़ों की कोशिकाएं, मवाद (पस) से भर जाती है एवं ठोस हो जाती हैं। बुखार, खांसी एवं सांस लेने में परेशानी इसके लक्षण हैं। बच्चों में ऐसे लक्षण देखें तो तत्काल उनकी जांच कराएं ताकि समय से उपचार शुरू हो सके।
एसीएमओ/आरसीएच के नोडल अधिकारी डॉ.महेशचंद्रा ने बताया कि इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट ऑफ नेशनल एंड चाइल्डहुड इलनेस (आईएमएनसीआई) ने पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया रोग के लक्षण पहचानने, वर्गीकरण करने एवं प्रबंधन में उचित दिशा-निर्देश प्रदान करने को एक मॉडयूल बनाया है, जो तीन रंगों का है। प्रत्येक रंग में बीमारी की अलग-अलग अवस्था और उसका प्रबंधन है। उन्होंने बताया कि जन्म के बाद पहले छह माह तक केवल स्तनपान करना एवं उसके बाद स्तनपान के साथ-साथ संपूरक आहार की शुरुआत करना निमोनिया की शुरुआत एवं गंभीरता को कम करता है। विटामिन ए की समय पर दी गई खुराक, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोग से होने वाली मृत्यु की संभावना को कम करती है।
प्रशिक्षणकर्ता बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.बीपी सिंह ने बताया कि तेज सांस चलना और छाती में धंसाव महसूस होना निमोनिया की जांच का महत्वपूर्ण लक्षण है, इसे नजरअंदाज न करें। उन्होंने बताया कि बच्चों में स्तनपान करने में असमर्थता, कुछ भी खाने के बाद उल्टी कर देना, दौरे पड़ना, सुस्त अथवा बेहोश होना निमोनिया के खतरनाक लक्षणों में आते हैं। प्रशिक्षण में मुख्य रूप से मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता दीपक यादव, स्टाफ नर्स प्रियंका प्रजापति, मौदहा ब्लाक के एएनएम, सीएचओ और आशा संगिनी मौजूद रही।