जिलाधिकारी ने दवा खिलाकर शुरू किया कृमि मुक्ति अभियान

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5.75 लाख बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाने का अभियान शुरूआंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों पर मना राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस

ललितपुर। जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर जिलाधिकारी ने मार्डन पब्लिक स्कूल में बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि यह दवा 1 वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है। जिलाधिकारी आलोक सिंह ने कहा कि पेट के कृमि बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधक हैं, इसलिए पेट के कृमि की दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बच्चों से कहा कि वह खुद खाए और अपने भाई बहन को दवा खाने के लिए कहे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा अजय भाले ने बताया कि जिले में 5.75 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भ_ों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं। डीसीपीएम गणेश ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर पिलानी है जबकि 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है। शिक्षक अभिषेक शर्मा ने बताया कि हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हम सब कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दवा खिला रहे हैं। जो लोग दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे। मार्डन पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य ग्रेस विश्वनाथन ने बताया कि मेरे बच्चे को आज उसके स्कूल में कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई है। दवा सेवन के दौरान और उसके बाद भी कोई दिक्कत नहीं हुई है।

क्यों खाएं दवा

कम्यूनिटी मेडिसिन विषेयज्ञ डा सौरभ सक्सेना ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। प्रतिकूल प्रभाव दो से चार घंटे में स्वत: ही समाप्त हो जाते है। आवश्यकता पडऩे पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार पांडे,जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामप्रवेश,जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज सिंह, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ हुसैन खान, डीएसओ डा आरएन सोनी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश भारती, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉक्टर सुमित बघेल, डीपीएम रजिया फिरोज, आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर डॉ सुखदेव पंकज, जीआईसी प्रधानाचार्य अरुणबाबू शर्मा, मॉडर्न पब्लिक स्कूल के मैनेजर राजन विश्वनाथन व शिक्षण गण मौजूद रहे।

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