केन्द्र सरकार द्वारा बुन्देलखण्डवासियों की उपेक्षा से लोगों में असंन्तोष फैल रहा है : बु.वि.सेना

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अवधनामा संवाददाता

बुन्देलखण्ड के सांसद और विधायकों की उदासीनता से जनता में आक्रोश

ललितपुर। स्थानीय कम्पनी बाग में बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण के सम्बन्ध में बुन्देलखण्ड विकास सेना प्रमुख हरीश कपूर की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गई। कहा कि हमारे बुन्देलखण्ड के सारे के सारे जनप्रतिनिधि केवल चुनावी मोहरे बनके रह गये है जो चुनाव के समय बुन्देलखण्ड की जनता को लुभावने वायदे करके वोट ठगने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले जनजागरण अभियान चलाकर पृथक बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण आन्दोलन को तेज करेगी। कहा कि बुन्देलखण्ड की जनता अपना प्रांत बुन्देलखण्ड प्रान्त का सपना संजोये हुए जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों के आश्वासनों के झूले में झूलते हुए लम्बा वक्त गुजार चुकी है, लेकिन सपना कब हकीकत में तब्दील हो, ये समय की गोद में छुपा हुआ है। लेकिन हमारे राजनेता, हमारे अपने ही जनप्रतिनिधि, हमारी माटी में पले-बढ़े और सत्ता और सम्मान को प्राप्त करने के उपरान्त भी इस क्षेत्र की जनता का भला करने, उनके सपनों की उड़ानें भरने की आकांक्षा को पूरा करना तो दूर, झूठ का पुलिंदा थमाकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे रहते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अपना आराध्य मानने वाली और उनके बताये रास्ते पर चलने का दम्भ भरने वाली तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री और क्षेत्र की तत्कालीन सांसद उमा भारती ने तीन साल में बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाने का वायदा क्षेत्र की जनता से किया था, परन्तु आज लगभग 10 साल गुजरने बाद भी नतीजा शून्य रहा। सेना प्रमुख ने कहा कि हमारा संगठन पिछले 25 वर्ष से बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाओ की मांग को गाँधीवादी तरीके से उठाता आ रहा है। आजादी के पहले और आजादी के बाद के बुन्देलखण्ड क्षेत्र का तुलनात्मक अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि देश के इस सबसे पिछड़े भूभाग की व नागरिकों की दिशा और दशा में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं आया है। उन्होंने ने कहा कि राष्ट्र को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने व अँग्रेज शासकों को लोहे के चने चबाने को मजबूर करने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली, रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, हाकी के जादूगर दद्दा मेजर ध्यानचंद, महान उपन्यास सम्राट बाबू वृन्दावनलाल वर्मा की जन्मस्थली व कर्मस्थली बुन्देलखण्ड की पावन धरती अपनी उपेक्षा, बदहाली और दुर्दशा पर खून के आँसू बहाने को मजबूर है। उद्योग शून्यता, उच्च, व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा, सड़क-बिजली-पानी, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताएं, बेरोजगारों की लंबी फौज, कभी सूखा तो कभी बाढ़ जैसी विभीषिकाएं, सामंतशाही, दबंगई, सूदखोरी, भ्रष्टाचार व अत्याचार के शूलों के दंश की पीड़ा सहने को हम बुन्देलखण्डवासी मजबूर हैं। बैठक में राजकुमार कुशवाहा, अमरसिंह, प्रदीप, कदीर खां, गफूर खां, प्रेमशंकर गुप्ता, महेन्द्र सोनी, बी.डी चन्देल, भैय्यन कुशवाहा, देव्न्द्र राजा, गौरव विश्वकर्मा, महेश साहू, मिलन चौहान, जगदीश झा, अतीक खान, पुष्पेन्द्र यादव, अजबसिंह यादव, प्रकाश, मूरत यादव, नारायण विश्वकर्मा, प्रमोद कुशवाहा, महेन्द्र यादव, संजयसिंह, रोहित रजक, नंदराम कुशवाहा, कामता प्रसाद आदि उपस्थित रहे।

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