धोनी स्मारक

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एस. एन. वर्मा

बारह साल पहले मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम पर 28 साल का सूखा समाप्त करते है वर्ल्डकप में श्रीलंका के खिलाफ नुआनकुलसेकरा के बाल पर अपना पेट हेलीकाप्टर शाट का छक्का लगा कर भारत के भले में विजय की माला पहनाई थी। विजयी हेलीकाप्टर का बाल का सिक्सर जो उन्होंने खेल के आखिरी बाल पर लगाया था जहां गिरा था वहां धोनी स्मारक बनाया जा रहा है। मुम्बई क्रिकेट एसोसियेशन ने जहां धोनी के शाट का बाल गिरा था। वहां के छः सीट का नाम पूर्व भारतीय कैप्टन धोनी के नाम करने जा रहा है। आठ अप्रैल को जब चेन्नई सुपर किंग और मुम्बई इन्डियन्स का मुकाबला होगा वानखेड़े स्टेडियम पर तब एमसीए इसका उद्घाटन करेगा। स्टेंडियम में कई भारतीय क्रिकेटर के नाम के स्टैन्ड है जैसे सचिन तेन्दुलकर, सुनील गावास्कर, विजय मर्चेन्ट पूरे भारत में यह पहली बार होने जा रहा है जब सीट क्रिकेट के खिलाड़ी के नाम पर होगा।
क्रिकेट खिलाड़ियों में बहुत से भारतीय और विश्व के क्रिकेट खिलाडी है जिनके नाम का क्रेज़ है। पर धोनी अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल से सन्यास ले चुके है तब भी उनका क्रेज वैसे ही बना हुआ है। उनके खेल को देखने के लिये भारी ठेलम पेल मची हुई है। क्या आफीसियल क्या दर्शक सभी धोनी के खेल के दिवाने बनकर टिकट के जुगाड़ में, पास के जुगाड़ में, अच्छी सीट के जुगाड़ में ठेलम ठेल मचाये हुये है। इन दोनो टीमो के फ्रेन्चाइजी परेशान है। दिन रात फोन, मिसकाल, व्यक्तिगत सम्पर्क करने वालो का ताता लगा हुआ है। इतना क्रेज तो किसी खेल या किसी खिलाड़ी के लिये नहीं देखा गया है। लोग सोच रहे है सम्भवतः धोनी का यह आखिरी खेल हो और वह इसके बाद आईपीएल से भी सन्यास ले ले। इसलिये उनका आखिरी शो देखने के लिये लोग और लालयित है। फक्र की बात है कि हमारे क्रिकेट खिलाड़ियों ने क्रिकेट संघो के पदाधिकारियों ने इस खेल को घर घर पहुचा कर इतना आकर्षक और लोक प्रिय बना दिया है। अन्य विधा के खिलाड़ियों, संयोजको, प्रशासको को भी अपने अपने खेल को इतना ही आकर्षक और लोकप्रिय बनाने की सीख लेनी चाहिये।
क्रिकेट की लोकप्रियता और उसके खुद के आकर्षण की वजह से इसमें बहुत पैंसा है। संघ भी मालामाल है खिलाड़ी भी मालामाल है। अभिभावक अपने बच्चो को इस खेल को कैरियर के रूप में अपनाने लगे लिये हर मदद दे रहे है। जिसका नतीजा है हर विद्या में गिफ्टेड खिलाड़ी आ रहे है। क्रिकेट में ज्यादा सोर्स सिफारिश नहीं चलती क्योंकि मैदान पर बैट और गेद का प्रदर्शन देखकर उसके बल पर ही खिलाड़ियों का चुनाव होता है। इस वजह से सही प्रतिभा के लोग ही टीम का हिस्सा बन पाते है। अगर लगातार प्रतिभा के अनुकूल अपना क्लास बनाये नहीं रख पाये है तो टीम से बाहर भी हो जाते है। अन्य खेलो में अभी यह स्पष्टता नहीं आ पाई है हालाकि पहलें की अपेक्षा काफी सुधार हो रहा है। कुछ सरकार भी इधर ध्यान दे रही है। और उपलब्धियों को सराह रही है हर तरह की मदद भी दे रही है।
41 की उम्र होने के बाद भी धोनी के स्टार पावर में कमी नहीं आई है। वह जहां भी खेलते है वहां के दर्शक उनके अपने हो जाते है यह उनके खेल का करिश्मा है उनके हेलिकाप्टर शाट और छक्के का दर्शको को लगातार इन्तजार रहता है। धोनी की निजी खासूूसियत है अन्दर चाहे जितना तूफान चल रहा हो बाहर नहीं होने देते। हमेशा कूूल बने रहते है और विकट परिस्थितियों में भी नहीं निर्णाय लेते है।
जिस जगह पर वर्ल्ड चैम्पियन के लिये उनके हेलिकाप्टर शाट का बाल गिरा था। वहां की छह सीटो अब किसी के लिये भी उपलब्ध नही होगी। वही धोनी स्मारक बनेगा। धोनी ने ही इस उपलक्ष में हुयें कार्यक्रम का उद्घाटन किया। लागा लिया धोनी। अवधनामा की बधाई। कोई अपना जैसे और लाये।

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