अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। (Barabanki) कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है , उत्तर प्रदेश की बेटी समृद्धि कुवँर ने। अपनी छोटी सी मात्र 9 वर्ष की उम्र में वह कर दिखाया, जो बड़े-बड़े लोग अपनी पूरी जिंदगी में नहीं कर पाते हैं । जिस उम्र में बच्चे अच्छे से विषयों को समझ भी नहीं पाते हैं , उस उम्र में ही समृद्धि कुवँर ने नवाचार, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, लेखन, पेन्टिंग, समाज सेवा आदि के क्षेत्रों में 100 से भी अधिक पुरस्कार अपने नाम कर लिया। हमारे यहां एक कहावत है कि ” होनहार बिरवान के होत चिकने पात ” अर्थात होनहार बच्चों की छवि पालने में ही दिख जाती है । परिवार और समाज को उसका बचपन देख कर ही समझ आने लगता है कि यह बच्चा आगे चलकर कुछ अच्छा और बड़ा करेगा , जिससे मां-बाप के साथ ही पूरे समाज का नाम रोशन होगा । आगे हमेशा प्रगति की राह पर बढ़ता रहेगा ।कुछ ऐसी ही कहानी है, उत्तर प्रदेश की बेटी समृद्धि कुवँर की। वर्तमान में इसकी उम्र तो मात्र 9 वर्ष है पर आपने कारनामे से बाल नवाचारी वैज्ञानिक के रूप में बड़े-बड़े लोगों के छक्के छुड़ा देती है, चाहे वह विज्ञान, प्रोद्योगिकी, लेखन, पेन्टिंग, समाज सेवा आदि का क्षेत्र हो या नवाचार का। जी हां , आपने सही पढ़ा ” नवाचार ” । अभी अपने इस जन्मदिन पर पूर्व वर्षों की तरह ही महामहिम राज्यपाल महोदय की अध्यक्षता वाले उ0प्र0 बाल कल्याण परिषद द्वारा संचालित अनाथों एवं असहाय बच्चियों एवं महिलाओं हेतु लखनऊ स्थित लीलावती निराश्रित बाल गृह रहे निराश्रित बच्चों के साथ मनाया। इसके कुछ ही महीनों पश्चात देश में वैश्विक महामारी कोविड-19(करोना) के बचाव हेतु समाचार पत्रों के माध्यम से पेन्टिंग द्वारा लोगों को जागरूक करने के साथ ही साथ जिला विज्ञान क्लब लखनऊ के सहयोग से महामारी से निपटने हेतु जागरूकता कार्यक्रमो में मास्क एवं सैनेटाईजर का वितरण भी किया। इस क्रम में प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल श्री रामनाईक महोदय एवं यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्य नाथ जी द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। समृद्धि कुवँर की जिंदगी में एक सुनहरा मौका तब आया, जब साउथ एशिया मैनेजमेंट एशोशिएशन के प्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय यंग चाइल्ड अवार्ड फाॅर साइंटिफिक इनोवेशन पुरस्कार मिला, इसके बाद तो समृद्धि कुवँर को मिलने वाले पुरस्कारों की एक लंबी फेहरिस्त है।
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