ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ‘थ्री पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)’ तकनीक से आठ स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है जो आनुवंशिक बीमारियों से मुक्त हैं। इन बच्चों में तीन लोगों का डीएनए शामिल है। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के अनुसार ये बच्चे माइटोकांड्रियल डीएनए में खराबी वाली माताओं से पैदा हुए हैं। जन्म के समय सभी बच्चे स्वस्थ थे और उनमें माइटोकांड्रियल डीएनए की खराबी न के बराबर थी।
अब वो दिन दूर नहीं जब माता-पिता अपने होने वाले बच्चे की आंखों का रंग, बालों की बनावट और दूसरी खूबियों का चयन खुद से कर सकेंगे। प्रकृति के नियमों में दखल की बहस से अलग, मेडिकल साइंस ने ‘डिजाइनर बेबी’ बनाने की दिशा में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ‘थ्री पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)’ तकनीक की मदद से आठ ऐसे बच्चों को जन्म दिया है, जो आनुवांशिक बीमारियों से पूरी तरह मुक्त हैं।
आपको बता दें कि इन बच्चों का जन्म तीन लोगों के DNA से हुआ है। इनमें चार लड़कियां और चार लड़के शामिल हैं। जिनमें एक जोड़ा जुड़वां बच्चों का भी है। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये बच्चे उन सात महिलाओं से पैदा हुए हैं जिनमें माइटोकांड्रियल DNA में खराबी के कारण गंभीर बीमारियों के होने का खतरा था।
पूरी तरह स्वस्थ थे बच्चे
वैज्ञानिकों ने बताया कि जन्म के समय सभी बच्चे पूरी तरह स्वस्थ थे और उनका शारीरिक विकास भी सामान्य था। माताओं के खराब डीएनए या तो जांच में नहीं मिला या इतनी कम मात्रा में मिला कि बीमारी की संभावना न के बराबर थी। इन सभी बच्चों में जन्म के बाद ब्लड टेस्ट में माइटोकांड्रियल डीएनए की खराबी न के बराबर पाई गई।
थ्री पर्सन IVF तकनीक से जन्मे बच्चे
ये अध्ययन द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित की गई है। इसमें बताया गया है कि थ्री पर्सन IVF तकनीक के तहत मां के अंडे के न्यूक्लियस और पिता के शुक्राणु को एक तीसरी महिला के स्वस्थ अंडे में ट्रांसफर किया जाता है। इस रिसर्च की प्रमुख लेखिका और न्यूकैसल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मैरी हर्बर्ट ने कहा कि माइटोकांड्रियल डोनेशन तकनीक को फिलहाल एक ऐसी प्रक्रिया माना जा रहा है जिससे खतरा कम होता है।
अमेरिका में लगी है रोक
ऐसा इसलिए क्योंकि इसके दौरान मां का खराब डीएनए शरीर में ट्रांसफर नहीं होता है। लेकिन आपको बता दें कि अमेरिका में थ्री पर्सन IVF तकनीक पर रोक लगाई गई है। जबकि 2015 में ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बना जिसने इंसानों में माइटोकांड्रियल डोनेशन को कानूनी रूप से मंजूरी दी थी। वहीं उसी साल अमेरिका में इसे एक कानून के जरिए इंसानों पर इस्तेमाल करने से रोक दिया गया था।
क्या होता है माइटोकांड्रियल रोग?
हर साल करीब 5,000 में से 1 बच्चा माइटोकांड्रियल डीएनए की खराबी के साथ जन्म लेता है, जिससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जैसे मसल्स का कमजोर होना, सुनने और देखने की दिक्कतें, दौरे पड़ना, विकास में रुकावट और दिल की बीमारी होना। ये बीमारी मां से बच्चों में आती है, क्योंकि माइटोकांड्रियल डीएनए हमेशा मां से ही आता है। हालांकि पुरुष इससे बीमार हो सकते हैं, लेकिन वे इसे आगे नहीं बढ़ाते। अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।