दीन पर अमल अज़ादाराने हुसैन अलैहिस्सलाम की पहचान है: मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी

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अवधनामा संवाददाता

लखनऊ: हर साल की तरह इस साल भी इमाम बारगाह ए मेहदी अमीनाबाद लखनऊ में अशरा ए मजालिस का सिलसिला शुरू है जिसको मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी खिताब फरमा रहे हैं इस अशरा ए मजालिस का विषय दीन और दीनी मसाएल है।
मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी ने आज चौथी मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने दीन को बचाने के लिए कुरबानी पेश की थी अब अगर इंसान अपने आपको हुसैनी कह रहा है इमाम हुसैन अ०स० का चाहने वाला कह रहा है तो उसके लिए ज़रूरी है कि वह दीन पर अमल करे क्योंकि दीन पर अमल अज़ादाराने हुसैन अ०स० की पहचान है और जो इंसान दीन से दूर रहता है वह यज़ीदी तो हो सकता है लेकिन हुसैनी नहीं हो सकता।
मौलाना ने कहा कि दीन के ज़रिए इंसान अपने लिए जन्नत तो बनाता ही है लेकिन उसके अलावा दीन इंसान को इंसान बना देता है और दीन से दूर रहने वाला जहन्नमी तो बनता ही है लेकिन उसके साथ साथ वह एक खराब इंसान भी बन जाता है और रवायत में है कि एक बस्ती में रसूल अल्लाह स०अ० जा रहे थे तो एक शख्स दिखाई देता है रसूल अल्लाह ने उससे पूछा कि बस्ती वाले कैसे हैं तो उसने कहा अच्छे लोग हैं फिर दूसरा शख्स दिखाई दिया आपने उससे भी वही पूछा उसने कहा कुछ अच्छे हैं और कुछ लोग बुरे हैं फिर तीसरे शख्स से भी वही पूछा तो उसने जवाब दिया की सब बुरे लोग हैं तो रसूल अल्लाह ने अपने असहाब से कहा कि जो जैसा होता है वैसे ही लोगों को देखता है पहला शख्स अच्छा था तो उसने सबको अच्छा कहा दूसरा थोड़ा अच्छा था थोड़ा बुरा था तो उसने कुछ को अच्छा और कुछ को बुरा कहा तीसरा खुद खराब था तो सबको खराब कहा रसूल ने फिर फरमाया कि दूसरों को नहीं अपने आपको देखो और दीन पर अमल करो ताकि तुम सबको अच्छा समझ सको और सब तुमको अच्छा समझ सकें।
स्पष्ट रहे इस अशरा ए मजालिस के बाद अज़ाखाने वसीम कैसर मुत्तसिल तनज़ीमुल मकातिब में अशरा मजालिस का सिलसिला शुरू है जिसको मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी खिताब कर रहे हैं जिसका विषय कुरआन की अहमियत और फज़ीलत है।
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