जनाबे ज़हरा सलामुल्लाह है ( अ,से)की खुद्दारी और सादगी

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लखनऊ छोटा इमामबाड़ा हुसैनाबाद की तीसरी मजलिस खिताब करते मौलाना मोहम्मद मोहसिन साहब जिसमें मौलाना ने बीबी ज़हरा की जिंदगी के आसमानी पहलुओं की तरफ इशारा करते हुए बयान किया कि आपकी जिंदगी बहुत सादा और आप बहुत खुद्दार थी आपने कभी भी अपने वालिद हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स,अ ) की शान व शौकत का फायदा नहीं उठाया
मौलाना ने आखिर में बीवी ज़हरा की बेकसी और मज़लूमियत को अपने अंदाज़ में पेश किया कि जिसको सुनकर हर तरफ से गिरिया हो आवाज़ बुलंद थी
आखिर में मिल्लत की सलामती और तरक्की पर मजलिस ख़त्म हुई
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