बांका जिले के वारकोप डेरु गांव में सरकारी जमीन पर बसे दो दर्जन महादलित परिवारों को जमीन खाली करने का नोटिस मिला है। ग्रामीणों के अनुसार उनके पास रहने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है और वे 70 वर्षों से वहां रह रहे हैं। अंचलाधिकारी ने बताया कि यह सरकारी जमीन है और जल्द ही अतिक्रमण हटाया जाएगा।
वारकोप डेरु गांव में सरकारी जमीन पर बसे दो दर्जन भूमिहीन महादलित परिवारों को जमीन छोड़ना पड़ेगा।
सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए गांव के ही शंकर दास की शिकायत पर 25 महादलित परिवारों को नोटिस देकर सरकारी जमीन को खाली करने का निर्देश दिया गया है।
इस पर गुरुवार को सभी महादलित परिवार ने प्रभारी अंचलाधिकारी काजल कुमारी को आवेदन देते हुए बताया कि उनके पास रहने की नाम मात्र जमीन है।
एक डिसमल जमीन में दो भाइयों का हिस्सा होने के कारण उनके पास जमीन नहीं है। इस कारण पिछले 70 वर्षों से उक्त जमीन पर झोपड़ी बनाकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं, लेकिन गांव के ही शंकर दास ने भी स्वयं सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रखते हुए हमलोगों को सरकारी जमीन से हटाने के लिए आवेदन किया है।
महादलित परिवारों ने बताया कि उनके पास अपना कोई निजी जमीन नहीं है। इसके बाद भी अंचल कार्यालय ने बिना जांच ही गलत रिपोर्ट दिया है। पीड़ित परिवारों ने प्रमुख प्रतिनिधि आलोक कुमार से भी मिलकर उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत कराया है।
इधर प्रभारी अंचलाधिकारी काजल कुमारी ने बताया कि डेरु गांव के अतिक्रमणवाद का मामला पूर्व से चला आ रहा है। जिस जमीन पर महादलित परिवार बसे हैं वह जमीन सरकारी है। जिला से पुलिस बल मिलते ही अतिक्रमण हटाया जाएगा।