बाराबंकी के थानों में सीआरपीसी की उड़ाई जाती धज्जियां?

0
85

 

अवधनामा संवाददाता (श्रवण चौहान)

पुलिस अधीक्षक अनजान मजा मार रहे दीवान?
खबर को प्रकाशित करने का उद्देश्य सच्चाई सामने लाने का है किसी विभाग की छवि धूमिल करने का बिल्कुल नहीं
बाराबंकी। जनपद के पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स पुलिसिंग को चुस्त-दुरुस्त रखने में अहम योगदान देते हुए नजर आते हैं यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि भ्रष्ट पुलिसकर्मी अनुराग वत्स के नाम से कांपते हैं  वत्स पुलिसिंग को चुस्त-दुरुस्त रखते हुए विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को भी चिन्हित कर रहे हैं. बहुत से मसले में   घूसखोर पुलिस कर्मियों के ऊपर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत मुकदमा भी पंजीकृत हुआ है . लेकिन बाराबंकी के थानों में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता  की खूब धज्जिया उड़ाई जाती है। किसी भी व्यक्ति को मामूली अपराध के आरोप में थाने में बैठा लिया जाता है  सबसे गलत बात तो यह है कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 57 का भी जमकर उल्लंघन किया जाता है, बता दें कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 57 में इस चीज का जिक्र किया गया है कि कोई भी थाने का भारसाधक अधिकारी किसी भी आरोपी को 24 घंटे से ज्यादा थाने में नहीं रोक सकता है . लेकिन बाराबंकी के अधिकतर थानों में इसकी जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं. वहीं अगर भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 की बात किया जाए  तो ये  धारा तो मानो थाने के मुंशीयों के लिए कामधेनु गाय की तरह है. जागरूकता के लिए बता दें कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 में यह प्रावधान है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट की ( एफ आई आर)  कॉपी मुफ्त दी जाएगी लेकिन इसके बदले में अधिकतर थानों में तैनात मुंशी ₹200 ले रहे है। पासपोर्ट सत्यापन के लिए आय आवेदकों से 1200  से 1500 लिए जाते है अगर पहुच दार है तो 500 कम हो जाते है  . इसी क्रम में बता दे की भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 खूब धज्जिया उड़ाई जाती है। अब आते हैं मोटर व्हीकल एक्ट 1988 पर बता दें कि पुलिसकर्मी चेकिंग के नाम पर भोले भाले बाइक चालकों/ बड़े वाहनों का चालान काट कर दिया जाता है ऊपर से दिया गया कोटा तो पूरा करते हैं लेकिन हकीकत यह है कि वह खुद मोटर व्हीकल एक्ट का पालन नहीं करते हैं. खुलेआम बिना हेलमेट के तमाम पुलिसकर्मी दिनभर नजर आते है । जिन मुद्दों की बात की गई है इस पर जांच कराकर उचित कार्यवाही करने की सख्त आवश्यकता है. खैर  एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि यह खबर लिखकर किसी विभाग या किसी लोकसेवक को ठेस पहुंचाने का बिल्कुल भी उद्देश्य नहीं है बल्कि सच्चाई को सामने लाने का है ।
सच्चाई है कि एसपी के खौफ में रहते हैं पुलिसकर्मी:- 
इस बात से बिल्कुल भी परहेज नहीं किया जा सकता कि पुलिस अधीक्षक बाराबंकी अनुराग वत्स जब से बाराबंकी का चार्ज संभाले हैं तब से पुलिसिंग में सुधार नहीं हुआ है पुलिसिंग को चुस्त दुरुस्त रखने में अहम योगदान देते हुए पुलिस अधीक्षक नजर आए और पुलिसकर्मियों को उदाहरण देते हुए भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर मुकदमा लिखने  का काम अनुराग वत्स कर चुके हैं। इसी वजह से भ्रष्ट पुलिस कर्मियों में हड़कंप मचा रहता है कहते हैं कि समय-समय पर लोकल इंटेलिजेंस व अन्य पुलिसकर्मियों से थानों के फ़ूडबैक भी लेते हैं।
इन पुलिसकर्मियों की कार्यशैली है संदिग्ध जनता परेशान:- 
इस बात में बिल्कुल भी शक नहीं कि कोठी  प्रभारी निरीक्षक संजीत कुमार सोनकर ईमानदार नहीं है ईमानदारी के लिए पूरे क्षेत्र में जाने जाते हैं लेकिन कहते हैं ना कि ज्यादा ईमानदारी करने की वजह से घर के लोग भी नाराज हो जाते हैं वही उदाहरण यहां भी सटीक बैठता है। क्योंकि प्रभारी निरीक्षक संजीत कुमार सोनकर से थाने के ही पुलिसकर्मी अंदर अंदर मनमुटाव रखते हैं  गौर करने वाली बात यह भी है कि थाने में तैनात कुछ उप निरीक्षक हेड कॉन्स्टेबल मानव पुलिस विभाग की नाक कटाने में  लगे हुए उदाहरण के लिए ये पुलिस कर्मी टॉप फाइव की श्रेणी में है जैसे कि उप निरीक्षक बृजेंद्र नाथ मिश्रा, कॉन्स्टेबल कमलेश  यादव,  लोगों की समस्याओं को गुणवत्ता पूर्वक ना निस्तारित कर व्यक्तिगत लाभ लेने में ज्यादा पढ़ते हैं जिसके चलते क्षेत्र की जनता परेशान रहती है लेकिन जब बात प्रभारी निरीक्षक संजीत कुमार सोनकर तक पहुंचती है तब जाकर लोगों की समस्या निस्तारित होती है।
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here