एस.एन.वर्मा
कुकुरमुत्ते की तरह उगते कोचिंग सेन्टर बड़े शहर छोटे शहर, बड़े शहरों के पाकेट में, यहां तक देहातों में भी उग आये है। इनमें इने गिने सही कोचिंग, देते है बाकी पैसे ऐंठते है। कोचिंग सेन्टर बड़े-बड़े विज्ञापन देते है, प्रतिस्पर्धा में सफल छात्रों की फोटो छाप अपने सेन्टर की उपलब्धि बताते रहते है। चूकि यह समय प्रतिस्पर्धा का है। इसलिये विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों में सफल होने की कामना कोचिंग सेन्टर तक खीच लाती है। सफलता के लिये कोचिंग सेन्टर कोई निश्चित फार्मूला नहीं है। बिना कोचिंग के भी लोग सफल हुये है। सफलता के लिये निश्चित टाइमटेबल के लिहाज से तैयारी करनी चाहिये। समय का प्रबन्धन ऐसा हो कि पूरा कोर्स कम से कम दो बार दोहरा सके। समाचारों से हमेशा अवगत होते रहना चाहिये। टाइमटेबल बना कर पढ़ना चाहिये। परिश्रम के अलगता कोई रास्तें नहीं है।
इस दौर में इने गिने सेन्टर है जो सचमुच सही प्रतिस्पर्धी तैयार करते है और आपने यहां के विद्यार्थियों को सफल बनाते है। पर अभी तक कोचिंग सेन्टरों के लिये कोई कोड या नियमावली नही थी। कोचिंग सेन्टर तरह तरह से अभिवकों और विद्यार्थियों को फंसा कर मनमानी फीस वसूलते रहते है जो बहुत ज्यादा होती है। अभिवावक और विद्यार्थी अच्छे भविष्य की आशा में अपनी हैसियत से बहुत ज्यादा पैसा लगाते रहते है। कर्ज लेते रहते है।
खुशी की बात है अब सरकार जाग गयी है और सेन्टरों पर अंकुश लगाने के लिये नियम बनवाये है जो हर सेन्टर पर चाहे छोटा हो या बड़ा हो लागू होगा और यह अनिवार्य होगा। केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी कोचिंग सेन्टरों की मनमानी रोकने के दिशा निर्देश तय कर दिया है। कोचिंग सेन्टर भौतिक रूप से हो या आनलाइन हो सभी को उसी के अनुसार चलाना होगा। बता दे सीसीपीए जिसने दिशा निर्देश तय किये है वह उपभोक्ताओं के हितों की रखवाली करता है यह केन्द्र सरकार का निकाय है।
यह धारणा है कि कोचिंग सेन्टर अपेक्षाकृत पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करते है। इसी धारणा के वाहत विद्यार्थी कोचिंग सेन्टर की शरणा में जाते है। अभिभावक भी अच्छे भविष्य की आशा में उन्हें सेन्टर ज्वाइन करने के लिये प्रेरित करते है। दिनोदिन प्रतिस्पर्धा बढ़ती ही जा रही है। सभी शिक्षितों को निकाये सरकारी संस्थानों में जगह पाना मुशकिल होता जा रहा है। जिनका कैरियर बहुत अच्छा बन पाता है वही निकायों और सरकारी नौकरियों में जा पाते है। जैसे जैसे युग नये तकनीको और ज्ञानों में आगे बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे युवाओं को इनके लिये अधिकाधिक सक्षम होना पड़ेगा। इसके लिये कोचिंग सेन्टर बहुत अच्छी जगह है। जहां सुशिक्षित और अनुभवी फेकल्टी होती है। पर सभी सेन्टरों में यह बात नहीं है। अब नये नियम आने से इसमें सुधार आयेगा। अभिभावकों और विद्यार्थियों को भी सचेत हो विश्वासनीयता का जांचकर तब सेन्टर में प्रवेश लेना चाहिये। इस दिशा में सरकार ने विद्यार्थियों और अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। उम्मीद है मनमानी फीस उगाही पर भी सरकार कुछ रोक लगायेगी। सीसीपीए के माध्यम से कुछ नियम बनायेगी। युवा ही देश का भविष्य है। आर्थिक सम्पन्नता की गारन्टी है।