गौ आधारित प्राकृतिक खेती से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त होता हैः-डॉ0 नन्द किशोेर

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हरदोई।  आज उप कृषि निदेशक द्वारा ग्राम सिलवारी विकास खण्ड भरखनी के कृषक उत्पादक संघ एफ0पी0ओ0 गौ धनमंत्री कृषक उत्पादक संगठन द्वारा उत्पाद किये गये उत्पादनों/फसलों का निरीक्षण किया गया। वहॉ उपस्थित गौ आधारित प्राकृतिक खेती की विधि से खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण भी दिया गया। उप कृषि निदेशक ने गौ आधारित प्राकृतिक खेती के बारे में बताया कि गौ आधारित प्राकृतिक खेती रसायन एवं पेस्टीसाइड मुक्त कृषि की वह पद्धति है, जिसमें परम्परागत तरीके से प्रकृति के नियमों का अनुसरण करते हुए देशी गाय आधारित खेती के सिद्धान्त को अपनाकर खेती की जाती है। उप कृषि निदेशक ने किसानों को गौ आधारित प्राकृतिक खेती से होने फायदे भी बताये। गौ आधारित प्राकृतिक करने से जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव के दृष्टिगत कृषि उत्पादन में स्थायित्व आता है तथा मृदा की उवर्रा शक्ति तथा जीवांष कार्बन में बढ़ोत्तरी होती है। गौ आधारित प्राकृतिक खेती से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त होता है। किसान भाई रसायन एवं पेस्टीसाइड मुक्त खाद्य उत्पाद प्राप्त कर सकते है जिससे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा। उप कृषि निदेशक ने एफ0पी0ओ0 के किसानों को प्रशिक्षण दिया तथा जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत एवं नीमास्त्र बनाने की विधि एवं प्रयोग के बारे में जानकारी दी। एफ0पी0ओ0 के कृषक धर्मेन्द्र सिंह द्वारा गौ आधारित प्राकृतिक खेती की तकनीकी से उत्पाद की जा रही फसलों का भी निरीक्षण किया, जिसमें मंूगफली, लौकी, भिन्डी, लाल भिंडी, धनिया एवं तौरई उगाई गयी है। धर्मेन्द्र सिंह ने महोगनी पौधा जो अफ्रिकन प्रजाति का है के बारे बताया कि महोगनी पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसके पत्तों को खाद के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है एवं कैंसर, ब्लडप्रेषर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों के खिलाफ भी ये प्रभावी होते है। महोगनी पौधे 15 साल में तैयार हो जाते जिसकी प्रति पेड की लगभग कीमत 3 लाख होती है। उक्त एफ0पी0ओ0 में 300 सदस्य है, जिन्हें प्रशिक्षण दिया गया। आगामी खरीफ सभी द्वारा गौ आधारित प्राकृतिक खेती की जायेगी और खरीफ में धान, तिल, उर्द, मक्का, बाजरा, रागी की फसलें उगाई जायेगी।

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