देश में कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इससे निपटने के लिए काफी धन की जरूरत पड़ेगी।भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, इस फंड को जुटाने के लिए28 मार्च को पीएम मोदी ने पीएम केयर फंड का ऐलान किया ताकि देश के हर नागरिक इसमें अपनी स्वेच्छा से कुछ योगदान कर सके।पीएम मोदी ने इस फंड के जरिए 100 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है।
प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF)में भी लोग दान कर रहे हैं, यह कोष 1948 में राहत कार्यों में सहायता हेतु बनाया गया था। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि पहले से ही जब PMNRF था तो पीएम केयर फंड क्यों बनाया गया।
दोनों में क्या अंतर है? अर्थशास्त्री डॉ. गणेश कावड़िया (स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स,देवी अहिल्या विवि इंदौर के पूर्व विभागाध्यक्ष) आपको इस बारे में बता रहे हैं।
पीएम केयर फंड को विशेष रूप से कोरोनावायरस से निपटने के लिए बनाया गया है। इस तरह के कोष कुछ समय के लिए भी चलाए जाते हैं आवश्यकता प्यूरी होने पर इन्हे बंद कर दिया जाता है।
वहीं PMNRF राहत कोष हमेशा संचालित रहते हैं आप इनमें कभी भी दान दे सकते हैं। इसमें दान की गई राशि का उपयोग भी देश की समस्याओं से निपटने के लिए ही किया जाता है लेकिन यह किसी एक विशेष समस्या के लिए नहीं होता है।
इन दोनों के तहत डोनेट की गई किसी भी राशि पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता। इस राशि पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 G के तहत टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर पीएम नरेंद्र मोदी ने एक चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया है। इस ट्रस्ट को पीएम केयर फंड का नाम दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी इस ट्रस्ट के चेयरेमैन हैं, जबकि दूसरे सदस्यों में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री शामिल हैं। इस तरह के राहत कोषों को समय-समय पर किसी बड़ी समस्या लिए बनाया जाता है और इनका उद्देश्य पूरा होने के बाद इन्हे बंद कर दिया जाता है।
पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता के अंशदान से प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी।
प्रधा मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा, हृदय शल्य-चिकित्सा, गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर आदि के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती है। यह कोष केवल जनता के अंशदान से बना है और इसे कोई भी बजटीय सहायता नहीं मिलती है।
समग्र निधि का निवेश अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य संस्थाओं में विभिन्न रूपों में किया जाता है। प्रधान मंत्री, प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के अध्यक्ष हैं और अधिकारी/कर्मचारी अवैतनिक आधार पर इसके संचालन में उनकी सहायता करते हैं।
भारत में ट्रस्ट, इंडियन ट्रस्ट एक्ट, 1882 के तहत काम करते हैं। किसी भी धर्मार्थ ट्रस्ट के लिए यह जरूरी होता है कि उसकी एक ट्रस्ट डीड बने जिसमें इस बात का स्पष्ट जिक्र होता है कि वह किन उद्देश्यों के लिए बना है, उसकी संरचना क्या होगी और वह कौन-कौन से काम किस ढंग से करेगा।
फिर इसका रजिस्ट्रेशन सब रजिस्ट्रार के यहां कराना होता है। पीएम केयर्स फंड की ट्रस्ट डीड, बायलॉज और इसका रजिस्ट्रेशन कब हुआ है।
इसके अलावा प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में मिलने वाले दान का दान का लेखा जोखा सरकार इसकी ऑफिशिअल साइट पर भी डालते हैं लेकिन पीएम केयर फंड जैसे कोषों में आने वाले पैसे का सरकार द्वारा कोई हिसाब नहीं दिया जाता।
सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे लोगों को इस तरह के कोषों में पैसों की आने और खर्च का ब्यौरा मिल सके।
अर्थशास्त्री डॉ. गणेश कावड़िया कहते हैं कि बड़ी आपदाओं के समय बनाए जाने वाले पीएम केयर फंड जैसे कोषों में आने वाले पैसों से समस्या से निपटने में आर्थिक मदद मिलती हैं।
अलग से केयर फंड बनाए जाने के कारण लोगों का इनके प्रति ज्यादा जुड़ाव होता है इससे फंड जुटाने में आसानी होती है इसके अलावा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष पर भी अतिरिक्त भर नहीं पड़ता।
प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की साइट पर दी गई जानकारी अनुसार इस कोष में 4 जून 2019 तक 3800 करोड़ रुपए जमा थे। इसकी बाद की जानकारी इस पर नहीं दी गई ह