आयरन फोलिक एसिड गोलियों का सही तरीके से सेवन आवश्यक

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कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन

किशोरियों को स्वास्थ्य, पोषण और व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में दी गयी जानकारी

गोरखपुर। मिथक और भ्रांतियों के कारण बड़ी संख्या में किशोर और किशोरियां आयरन फोलिक एसिड गोलियों का सेवन बंद कर देते हैं, जबकि इन गोलियों का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं है । अगर पोषणयुक्त खानपान के साथ सही तरीके से इन गोलियों का सेवन किया जाए तो शरीर में कभी भी खून की कमी नहीं होनी पाएगी । यह बातें राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की जिला प्रबंधक डॉ अर्चना कुमारी ने कहीं । वह कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में किशोर स्वास्थ्य मंच कार्यक्रम को बुधवार को सम्बोधित कर रही थीं। कार्यक्रम के दौरान किशोरियों को स्वास्थ्य, पोषण और व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी ।

डॉ अर्चना कुमारी ने बताया कि किशोरियों में बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों में मासिक धर्म का आना भी शामिल है । ऐसी अवस्था में पोषणयुक्त भोजन जैसे दाल, हरी साग सब्जियां, पोषाहार आदि के साथ सप्ताह में आयरन फोलिक एसिड की गोलियों का सेवन अति आवश्यक है । हर हफ्ते आयरन फोलिक एसिड की गोली खानी है। यह गोली हमेशा खाना खाने के दो घंटे बाद ही खानी है। बेहतर है कि रात में सोते समय इनका सेवन किया जाए । इन गोलियों का सेवन दूध, अंडा व अन्य प्रोटीनयुक्त आहार के साथ नहीं किया जाना चाहिए। इन चीजों के साथ गोलियों का सेवन करने पर गोलियों के न पचने की दिक्कत हो जाती है और प्रतिकूल प्रभाव दिखने लगते हैं । इनका सेवन नींबू पानी, संतरा, मौसमी व अन्य विटामिन सी युक्त आहार के साथ कर सकते हैं । इन गोलियों का सेवन करने से शौच का रंग काला हो जाता है और कई बार घबरा कर बच्चे गोलियों का सेवन बंद कर देते हैं। यह गोलियों का स्वाभाविक प्रभाव है और इसका मतलब है कि आयरन पच रहा है । हर छह माह पर पेट में कीड़े मारने की दवा खानी है, लेकिन इस दवा का सेवन कभी भी आयरन की गोली के साथ नहीं करना है।

जिला प्रबंधक ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे और नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार के दिशा निर्देशों के अनुसार किशोर किशोरियों को स्वास्थ्य, पोषण व स्वच्छता से जुड़ी जानकारी के लिए विद्यालयों में किशोर स्वास्थ्य मंच के आयोजन किया जा रहे हैं । उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि उनकी निजी समस्याओं के गोपनीयता के साथ समाधान के लिए जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल में किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक का संचालन किया जा रहा है ।

इस मौके पर तुर्कमानपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ श्वेता सिंह ने किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जानकारी दी और उनका स्वास्थ्य भी जांचा । उन्हें बताया कि मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं है। इसके प्रति सोच में बदलाव करना होगा और इससे जुड़ी समस्या पर खुल कर बात करनी होगी। मासिक धर्म के दौरान पैड का इस्तेमाल करना है और इसे हर चार घंटे में बदल देना है। इस दौरान होने वाले जांघों का दर्द, पेट दर्द और अन्य लक्षण कोई बीमारी नहीं है। ज्यादा दिक्कत होने पर चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए ।

कार्यक्रम में 63 किशोरियों के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच भी की गयी । जांच में 16 किशोरियों में मामूली एनीमिया पाया गया । कार्यक्रम को विद्यालय की वार्डेन मंजू पांडेय, किशोर स्वास्थ्य काउंसलर रूपकला और पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि प्रियंका सिंह ने भी सम्बोधित किया । कार्यक्रम में स्कूल की शिक्षिका रीता यादव और लैब टेक्निशियन ज्ञान प्रकाश ने विशेष सहयोग किया । इस मौके पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया और विजेता किशोरियों को सम्मानित किया ।

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