निगम कर रहा नदियों के जल में आक्सीजन बढ़ाने व वैटलैंड सुधार का प्रयास

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Corporation is trying to increase the oxygen in the water of rivers and improve wetland

अवधनामा संवाददाता

वैज्ञानिकों की देखरेख में किया जा रहा पानी का जैव उपचार

सहारनपुर।(Saharanpur)  नदियों को प्रदूषण मुक्त कर पर्यावरण संरक्षण तथा जल संरक्षण करने की दिशा में भी नगर निगम वैज्ञानिकों की मदद से लगातार काम कर रहा है। ढमोला, नागदेव व पांवधेाई नदी तथा समस्त वैटलैंड में सुधार और भूगर्भ जल प्रबंधन के लिए नदियों में कुछ स्थान चिन्हित कर नैनो टैक्नोलाॅजी से तैयार नैनो सिलिका व नैनो न्यूटरीयेन्ट का छिड़काव वैज्ञानिकों की देख रेख में कराया जा रहा है। योजना पर निगरानी व क्रियान्वयन के लिए निगम द्वारा मुख्य अभियंता निर्माण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया गया है।

नगरायुक्त ज्ञानेंद्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सहारनपुर की नागादेव, ढमोला व पांवधोई नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार कर पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम डाॅ.उमर सैफ के नेतृत्व में इस कार्य के लिए लगायी गयी है। नदियों से केवल कूड़ा कचरा ही नहीं बल्कि उनके जल का उपचार कर उनमें आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्य अभियंता निमार्ण की अध्यक्षता में एक बायोरेमिडियेशन समिति का गठन भी किया गया है जिसमें समबंिधत विभागध्यक्षों को सदस्य नामित किया गया है। समिति द्वारा नियमित अनुश्रवण कर जिला पर्यावरण समिति को प्रेषित किया जाता है। बायोरेमिडियेशन कार्य सुचारू रूप से चले इसके लिए साप्ताहिक रोस्टर बनाया गया है और 95 डोसिंग प्वाइंट्स ( जैव उपचार के लिए प्वाइंट्स ) को जीपीएस टैगिंग कर कार्य किया जा रहा है,

नगरायुक्त ने बताया कि इस सप्ताह पांवधोई नदी पर चिन्हित डोसिंग पाइन्टस पर नैनो टैक्नोलाॅजी से तैयार नैनो सिलिका व नैनो न्यूटरीयेन्ट का छिड़काव पर्यावरण अनुभाग द्वारा किया जा रहा है, ताकि सूक्ष्म जलीय पौधों व एक कोशीय जलीय जीवों की संख्या बढाई जा सके और नदी के पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा बढाई जा सके तथा पानी में आ रहे अउपचारित मलमूत्र को प्रोसेस कर बायोमास में बदला जा सके। उन्होंने बताया कि इस तकनीक की सराहना माननीय एन.जी.टी ओवर साइट कमेटी द्वारा भी पूर्व की सुनवाई में की गयी है और इसके परिणाम भी सकारात्मक आ रहे है। उन्होंने बताया कि नगर निगम की टीम नियमित रूप से घुलित आक्सीजन की मात्रा व न्यूट्रीयेन्ट की स्थिति की जांच अत्याधुनिक उपकरणों से करती रहती है। इसके अलावा भी आवश्यकता अनुसार रोस्टर में बदलाव कर उपचार के लिये जरूरी कदम उठाये जा रहे है।

नगर आयुक्त ने कहा कि कोई भी नदी बिना लोगों के सहयोग के जीवित नही रह सकती। उन्होने शहर के लोगों से अपील की कि वे ठोस अपशिष्ट नदी में न डाले। दूध डेरी या छोटे पशुपालक गोबर को सीधे नालियों में न बहाएं। इससे पानी की बी.ओ.डी. बढ़ जाती है और गोबर के सड़ने के कारण बदबू पैदा करने वाले बैक्टिरिया तेजी से पनपते है, इससे कईं खतरनाक गैसे निकलती है जो सभी नगर वासियों को नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे नदियों और जल स्त्रोतों को पवित्र रखने के साथ साथ स्वच्छता में सहयोग करें।

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