बैंक लाइन, शराब की लाइन और राशन की लाइन में लगने से नहीं होगा कोरोना?

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Corona will not be in place due to bank line, liquor line and ration line?
मोहम्मद आलम रिज़वी स्थानीय संपादक (अवधनामा)

जानिए कोरोना कहां होगा और कहां नहीं होगा?

बैंको में 500 रुपये के लिए लाइन लगवाने से कोरोना नहीं होगा। राशन की दुकानों पर लाइन लगवाने से कोरोना नहीं होगा। शराब की दुकानों पर लाइन लगवाने से कोरोना नही होगा। जहां फ्री का सामान बंट रहा हो वहां लाइन लगवाने से कोरोना नही होगा । बस एक आम दुकानदार ही ऐसा है जिसके पास बमुश्किल से दिन भर मे दस – बीस ग्राहक ही आते होंगे वही सारा कोरोना फैलाएगा। इस सोच को सलाम।

कोरोना एक ऐसी महामारी है जो हर जगह नहीं फैलती, अगर आपको लग रहा है कि यह तथ्य सही नहीं है तो मैं स्पष्टीकरण देता हूं।
अगर आपके खाते में 500 रूपये आए हैं और आप उन 500 रूपये निकालने के लिए लाइन में लगते हैं तो आपको कोरोना नहीं होगा। अगर सरकार ने आपके लिए राशन भेजा है और आप उस राशन की दुकान पर लाइन में लग रहे हैं तो भी आपको कोरोना नहीं होगा।
और हां अगर आप शराब पीते हैं और शराब की दुकान खुली हुई है तो आप ऐसे में शराब ले सकते हैं लाइन लग सकते हैं इस लाइन में आपको कोरोना नहीं होगा।
और अगर कहीं फ्री सामान बट रहा है और आपको सामान की जरूरत है तो भी आप वहां लाइन लग सकते हैं आपको कोरोना नहीं होगा।
क्योंकि कोरोना सिर्फ उन जगहों पर ही हो रहा है जहां दो वक्त की रोटी के लिए लोग मेहनत कर रहे हैं उन दुकानों पर कोरोना हो रहा है जहां दिनभर में शायद दो-चार ही ग्राहक आते होंगे उन सब्जी वाले ठेले पर कोरोना हो रहा है जहां पर शायद दिन भर में 10-15 ही ग्राहक आते होंगे।
कहने का तात्पर्य यह है कि कोरोना को एकदम मजाक बनाकर रख दिया है जहां सख्ती होना चाहिए वहां कोई सख्ती नहीं है खुलेआम सड़कों पर लोग घूम रहे हैं लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है पूरे शहर को अपनी आंखों से आप देख सकते हैं मैदानों में लोग क्रिकेट मैच खेल रहे हैं पतंगबाजी मैदानों से हो रही है 10-10 लोग झुंड बनाकर बेकारी कर रहे हैं लेकिन अगर कोई एक व्यक्ति अपनी दुकान का शटर उठाकर किसी को कोई सामान बेच दे तो सारी कार्यवाही उसी के ऊपर होगी सारा कोरोना उसी की दुकान पर होगा सारे नियम व कानून सिर्फ उसी के लिए होंगे।
आखिर यह दोहरा रवैया क्यों कोई आदमी मजबूरी में अपनी रोजी-रोटी की वजह से अगर दुकान खोल रहा है तो सिर्फ उस पर ही अत्याचार क्यों?
अभी उन्नाव मामले में आपने देखा एक 17 साल के सब्जी वाले को बेरहमी से मार कर मौत के घाट उतार दिया गया मरने वाला तो मर कर चला गया किसी ने यह भी सोचा कि आखिर वह इस महामारी में बाहर क्यों निकला था क्यों सब्जी बेच रहा था क्या मुश्किल हो रही थी। कितना बड़ा अपराध था जो मौत के घाट उतार दिया।
सिर्फ दो वक्त की रोटी की जंग लड़ते लड़ते अपनी जिंदगी की जंग हार गया।
किसी व्यक्ति का पेट सिर्फ 5 किलो आटे और 5 किलो चावल से नहीं भरता है रोजमर्रा की  ज़रूरियात के लिए पैसों की जरूरत होती है, अगर किसी के घर में कोई बीमार है तो भी उसे पैसों की ज़रूरत पड़ेगी, अरे रोज़ कमाने वाले और रोज़ खाने वालों के पास बैंकों में पैसा जमा नहीं है जो निकलकर गुज़ारा करले।
कोई किसी से मांगकर खायेगा भी तो कितने दिन पडोसी अपने पडोसी की मदद करेगा भी तो कितने दिन. आख़िर  सरकार ने इसके लिए क्या कदम उठाए क्या पॉलिसी तैय्यार की? तकरीबन 1 साल से कोरोना महामारी है अब तक तो सरकार को समझ जाना चाहिए था कि लॉकडाउन लगाने के बाद आम जनता पर क्या परेशानियां आएंगी और उन परेशानियों का क्या समाधान होना चाहिए, लेकिन आपने तो लॉक डाउन की घोषणा कर दी जनता जाने क्या करना है कैसे जीना है।

मोहम्मद आलम रिज़वी
स्थानीय संपादक (अवधनामा)
9616264218

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