लॉकडाउन से ऐसे निबट रहे हैं जर्मन जेल

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कोरोना वायरस को रोकने के लिए बहुत से देशों में लॉकडाउन है. इसका असर वहां की जेलों पर भी पड़ रहा है, जहां टेलिफोन जैसी चीजों की तस्करी आम होती है. जर्मनी में एक जेल अधिकारी को घूसखोरी के आरोप में सजा दी गई है.

कोरोना का असर अदालतों के काम पर भी पड़ा है. जिन कुछेक मामलों की सुनवाई हुई है उनमें बर्लिन के एक जेल अधिकारी की रिश्वतखोरी का भी मामला था जिसे तीन साल और तीन महीने की कैद की सजा दी गई है. इस निलंबित अधिकारी पर 2019 में कम से कम 9 मामलों में पैसे के बदले कैदियों तक अवैध चीजें पहुंचाने का आरोप था. कैदियों के परिचित पैसा और स्मगल किया जाने वाला सामान जेल के लॉकर में रख देते थे जिसे वह अधिकारी पैसे अपने पास रखकर कैदियों को दे देता था. आखिरी मामले में ड्रग्स का एक पैकेट भी लॉकर में रखा था. लेकिन जेल अधिकारी मौके पर ही पकड़ा गया.

 

कोरोना की वजह से हुए लॉकआउट के कारण आजादी में कमी का अहसास इस समय हर इंसान कर रहा है. जेल तो होते ही हैं अपराधियों के लिए व्यक्तिगत आजादी खत्म करने की सजा के लिए. लेकिन कैदी इस समस्या को अलग अलग ढंग से कम करने का रास्ता निकाल लेते हैं. जर्मनी की जेलों में अक्सर पड़ने वाले छापों में पैसे, चॉकलेट और ड्रग्स के अलावा बड़े पैमाने पर मोबाइल फोन मिलते हैं. पिछले साल राजधानी बर्लिन की जेलों में करीब 1,000 मोबाइल फोन पकड़े गए.

पब्लिक ब्रॉडकास्टर डॉयचलांड फुंक के अनुसार जेलों में अवैध सामग्रियां पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रास्ते को कैदियों की भाषा में सड़क कहते हैं. सड़क बनाने के तरीकों में जेल कर्मचारियों को घूस देकर सामान पहुंचाने के अलावा कैदियों से मिलने वालों का इस्तेमाल, जेल पहुंचने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल और पैरोल से वापस लौटने वाले कैदियों का इस्तेमाल शामिल है. जेल में आने वाला हर इंसान चाहे वह मिस्त्री या मैकेनिक हो, सामानों की सप्लाई करने वाला हो या वकील हो, ऐसी ‘सड़क’ हो सकता है.

कोरोना वायरस से बचने के लिए इन दिनों कैदियों को पहले के मुकाबले ज्यादा समय अपनी कोठरियों में बिताना पड़ता है. आम तौर पर जेलों के कॉरीडोर में टेलिफोन लगा होता है जिसका इस्तेमाल कैदी अपने परिवार वालों से बात करने और सामाजिक संपर्क बनाए रखने के लिए करते हैं. लेकिन इस समय संक्रमण से बचने के लिए जेल के टेलिफोन का इस्तेमाल कम हो गया है. ऐसे में अवैध मोबाइलों टेलिफोन की मांग बढ़ जाती है. मोबाइल फोनों का तो ये हाल है कि यूट्यूब पर जेल वीडियो ब्लॉग भी है जिस पर बर्लिन की जेलों के अंदर से 2018 से वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं. समय समय पर छापे मार कर टेलिफोन जब्त कर लिए जाते हैं लेकिन वीडियो ब्लॉग का पोस्ट होना रुका नहीं है.

 

जेलों में भी कोरोना वायरस से निबटने के कदम उठाए जा रहे हैं. ब्रेमेन जैसी कुछ जेलों से अगले दो महीनों में रिहा होने वाले कैदियों को जोखिम वाली उम्र में होने पर पहले ही रिहा कर दिया गया. कुछ जेल छोटे मोटे अपराध के कारण कैद की सजा काटने वाले नए लोगों को फिलहाल नहीं ले रहे हैं. इसके अलावा जेल में क्वारंटीन के लिए महामारी वाले वार्ड भी बनाए जा रहे हैं.

जर्मनी में कुल मिलाकर 179 जेल हैं, जिनमें कुछ खुले जेल भी शामिल हैं, जहां के कैदियों को दिन में काम करने के लिए बाहर जाने की अनुमति होती है. मार्च 2019 में जर्मन जेलों में करीब 66,000 लोग कैद थे. इनमें जांच के दौरान न्यायिक हिरासत वाले बंदी भी शामिल हैं.(साभार डी डब्लू)

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