एसएनवर्मा
मरियम नवाज मुख्यमंत्री पंजाब ने करतार साहिब पर सिख समुदाय को सामने जो कहा वह भारत-पाक के सम्बन्धों को लेकर एक ठन्डी हवा के झोका के मानिन्द है। क्योंकि भारत-पाक सम्बन्धों की हकीकत सभी जानते है। मरियम ने 3000 सिख धर्मयात्रियों के सामने भाषा और संस्कृति के साझा सम्बन्धों पर जोर देकर जो कुछ कहा वह स्वागत योग्य है। बेहतर होगा सारी कटुता को भूल नये शान्ति माहौल की रचना करने के लिये बैंक डोर डिप्लेमेसी शुरू कि जाये। पाकिस्तान में सेना की सुपरमेसी किसी से छिपी नहीं है। शारीफ को भारत से सम्बन्ध सुधारने के प्रयास को लेकर सेना ने उन्हें गद्दी से उतार दिया था। सेना भारत से तनाव बनाये रखने में अपना फायदा देखती है, देश का नहीं। विदेशों से सुधार के नाम पर जो कर्ज मिलता है सेना उसका मेजर भाग हड़प कर ऐशो आराम करती है। आम जनता भूखों मरती है। सेना का वर्चस्व अभी भी वहां वैसे ही बना हुआ है। मरियम ने जो कहा बिना सेना की स्वीकृत के नहीं कही होगी।
इस समय पाकिस्तान तमाम दुशवारियों से गुजर रहा है। आम जनता भूखों मर रही है। वहां भीख मांगने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि आईएमएफ से लेकर तमाम अरब देशो मुस्लिम बाहुल्य देशो से कर्ज की भीख व मदद मागी जा रही है। पाकिस्तान कर्ज की शर्तो को जो आइएमएफ ने लगाया था पूरा करने में पाक हमेशा फेल होता रहा है। इसलिये आईएमएफ उदासीन है। हालाकि पाकिस्तान गिड़गिड़ा रहा है। पाक की ओर से भारत-पाक व्यापार सम्बन्धों को बहाल करने पर जोर दिया जा रहा है। बिना सेना की सहमति के ऐसा कदम नहीं उठाया जा सकता। पाक आर्थिक राजनैतिक, सामाजिक दुशवारियों से गुजर रहा है। एक टुकड़े में तो बट ही चुका है दो टुकड़ों में बटने की ओर वहां के हालात जोर डाल रहे है। उसके अफगान सीमा पर विद्रोह हो रहे है। आतंकी पाक के अन्दर घुसकर हत्यायें कर रहे हैं। सरकार, कोर्ट में आपसी खीचा तानी है। सेना सब पर अपना प्रभुत्व बनाये रखना चाहती है। अपने मनका सरकार बनवयी है।
इमरान जब तक सेना के साथ थे उनकी चलती रही है। सेना ने ही उन्हें गद्दी पर बैठाया था। जरासी स्वतन्त्रतता दिखाई अपदस्थ कर दिये गये, जेल की अन्दर कर दिये गये। ऐसा कर दिया गया है कि वह चुनाव नहीं लड़ सकते। इनसब की मजबूरी की वजह से सेना सकारात्मक स्वीकृति पाक सरकार को देकर भारत से सम्बन्ध सुधारने की बात कहवा रही है। मरियम ने हिन्दू, मुस्लिम, सिख त्याहारों को मिलजुल कर मनाने का वास्ता भी दे रही है। पाकिस्तान के कश्मीर में व्यर्थ नाक घुसेड़ने से बाज आना पडेगा। पीओके के लोगों का भारत के पक्ष में रूख बढ़ता जा रहा है। पाक इससे भी चिन्तित है।
बहरहाल इस समय सब भूलकर भारत और पाक के सम्बन्धों को मजबूत करने के लिये दोनो के तरफ से प्रयास शुरू हो जाना चाहिये। भारत आम चुनाव के बाद दृढ़ता से आगे बढ़ेगा। क्योंकि वह तो कब से सम्बन्धों को सुधारने चाहता है। पाक को भी कश्मीर रट छोड़ देनी चाहिये। जगह जगह भारत के खिलाफ दुष्प्रचार बन्द कर देना चाहिये। पाक और भारत को पहले नीचे के फलों को तोड़ना शुरू कर देना चाहिये। इसी से आगे की राहे खुलेगी और सम्बन्ध सुधारेगे शान्ती बहाल होगी।