फेलो को दो साल के अनुभव के बराबर क्रेडिट मिलेंगे
नई दिल्ली: माननीय केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने, 9 आईआईएम में महात्मा गांधी नेशनल फेलो को उनके दीक्षांत दिवस समारोह में संबोधित करते हुए घोषणा की, कि 581 फेलो को जिला इमर्शन सहित आईआईएम में उनकी दो वर्षों की लर्निंग के आधार पर क्रेडिट दिया जाएगा। पब्लिक पॉलिसी और मैनेजमेन्ट में उनके सर्टिफिकेट आधिकारिक तौर पर उनके एकेडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में दर्ज किए जाएंगे। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत परिकल्पित राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन में एक अग्रणी कदम है।
माननीय मंत्री ने कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय और नौ प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) की इस सहयोगी पहल पर हमारे महात्मा गांधी राष्ट्रीय फेलो प्रोग्राम के दीक्षांत समारोह को वर्चुअल रूप से संबोधित किया। यह दिन इन फेलो के जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ जिन्होंने इस कठिन और ट्रान्सफॉर्मेटिव प्रोग्राम को पूरा किया है।
माननीय मंत्री ने ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ पर दीक्षांत समारोह आयोजित करने के लिए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय और सभी नौ आईआईएम की हार्दिक सराहना की। उन्होंने इस दो-वर्षीय फ़ेलोशिप प्रोग्राम को पूरा करने के बाद, आईआईएम से पब्लिक पॉलिसी और मैनेजमेन्ट के सभी फेलो को बधाई दी। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी नेशनल फेलो आधुनिक समय के विश्वकर्मा हैं, जो 21वीं सदी को आकार देने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे पूरी उम्मीदें और अटूट विश्वास है कि मेरे युवा मित्र विकसित भारत की प्राप्ति में योगदान
देने के लिए कौशल को अपने मिशन के रूप में अपनाएंगे”।
श्री प्रधान ने कहा कि “2047 तक विकसित भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, यह जरूरी है कि हम अपने वर्कफोर्स को कुशल बनाएं, उन्हें रीस्किल करें और अपस्किल करें। हमारा उद्देश्य भारत को स्किल्ड मैनपॉवर के लिए एक ग्लोबल हब के रूप में स्थापित करना है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि एमजीएनएफ प्रोग्राम से उभरने वाली युवा प्रतिभाएं स्किल इंडिया डिजिटल पोर्टल के एम्बेस्डर बनेंगी।
यह पहला उदाहरण है जहां 9 आईआईएम (अहमदाबाद, बैंगलोर, लखनऊ, जम्मू, कोझिकोड, नागपुर, रांची, उदयपुर और विशाखापत्तनम सहित) ने भारत सरकार के लिए एक प्रोग्राम को को-डिलीवर करने में सपोर्ट दिया है जो केंद्र सरकार के इनपुट के साथ राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों में कॉमन शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करता है।
प्रोग्राम के अनूठे डिज़ाइन ने फेलो को इकॉनोमिक्स, मैनेजमेन्ट, पब्लिक पॉलिसी, रिसर्च, फाइनेन्स जैसे विषयगत क्षेत्रों में सही एकेडेमिक इनसाइट प्रदान की है और इनसे मिली लर्निंग को उनके डिस्ट्रिक्ट इमर्शन के दौरान जिला स्तर पर कुछ अनूठे प्रोग्राम की रणनीति बनाने और लागू करने के लिए लागू किया गया है। फेलो को भारत सरकार द्वारा पहले और दूसरे वर्ष में मासिक स्टाइपेन्ड भी दिया जाता है। यह कार्यक्रम शिक्षा और कौशल विकास की ताकत को सहक्रियात्मक तरीके से एक साथ लाने का एक प्रमाण है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के
तहत परिकल्पित शिक्षा की वोकेशनल/स्ट्रीम्स के बीच एक इन्टीग्रेशन भी है।
फेलो का फिज़िकल दीक्षांत समारोह संबंधित स्थानों पर आयोजित किया गया। एनसीवीईटी के चेयरमैन, डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी, हायर एजुकेशन डिपार्टमेन्ट के सचिव, श्री के संजय मूर्ति, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव, श्री अतुल कुमार तिवारी, सीनियर इकॉनोमिक एडवाइज़र, श्री नीलांबुज शरण, एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. टी. जी. सीताराम, संबंधित आईआईएम के डायरेक्टर और कई प्रोग्राम डायरेक्टर अपने साथियों के साथ वर्चुअल संबोधन में शामिल हुए।
अक्टूबर 2021 में लॉन्च किए गए, महात्मा गांधी राष्ट्रीय फ़ेलोशिप प्रोग्राम के फेज़ 2 में एकेडेमिक पार्टनर के रूप में नौ आईआईएम के सहयोग से भारत के 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के जिलों में 657 फेलो को तैनात किया गया। वर्ल्ड बैंक द्वारा वित्त पोषित स्किल एक्वीज़िशन एंड नॉलेज अवेयरनेस फॉर लाइवलीहुड प्रमोशन (संकल्प) प्रोग्राम के तहत संकल्पना किए गए महात्मा गांधी नेशनल फ़ेलोशिप का उद्देश्य युवा, प्रतिबद्ध और गतिशील व्यक्तियों के एक समूह की पहचान करना और प्रशिक्षित करना है जो कौशल की प्रक्रिया को मजबूत करने में जिला प्रशासन के साथ काम करेंगे और एक जीवंत स्थानीय डिस्ट्रिक्ट इकोनॉमी बनाने में मदद करेंगे।
इसकी अनूठी डिजाइन ने फेलो को आईआईएम में एकेडेमिक लर्निंग को आत्मसात करने और चुनौतियों को समझने और विकास को बढ़ावा देने के लिए रोजगार, आर्थिक उत्पादन बढ़ाने में डिस्ट्रिक्ट ईकोसिस्टम के सामने आने वाली बाधाओं की पहचान करने के लिए फैकल्टी मेम्बरशिप के तहत क्षेत्र में इसका उपयोग करने की अनुमति दी।
अपनी फ़ेलोशिप के दौरान, फ़ेलो ने उन जिलों में इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स को लागू करने में काफी प्रगति की, जिनमें वे तैनात थे और उन्होंने रोज़गार मेलों और जी20 वर्किंग ग्रुप की बैठकों जैसे राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी योगदान दिया। उनकी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए, वर्चुअल समारोह के दौरान फेलो की उपलब्धियों पर ‘स्टोरीज़ ऑफ चेंज’ नामक एक रिपोर्ट भी जारी की गई।
इसके अलावा, फेलो ने उन लोगों के लिए प्रशिक्षण और कौशल बढ़ाने के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से सक्रिय रूप से पहल और प्रोग्राम लागू किए, जिनकी औपचारिक शिक्षा तक सीमित पहुंच हो सकती है। यह पहुँच हाशिए पर रहने वाले समुदायों, ग्रामीण क्षेत्रों और वंचित व्यक्तियों तक फैली हुई है, जो टेक्नोलॉजी को अपनाने में बाधाओं का सामना करते हैं।