एस एन वर्मा
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जम्मू कश्मीर में जा कर समाप्त हुई। आगे भी इस तरह के यात्रा के संकेत मिल चुके है। चूकि अब सदन का सत्र शुरू होने जा रहा है इस लिये सदन में मौजूदगी जरूरी है। समापन के पहले लाल चैक पर राहुल ने तिरंगा फहराया। कहते है सुरक्षा कारणों से यात्रा एक दिन पहले समाप्त कर दी गयी। राहुल ने सुरक्षा के नाम पर एक दिन के लिये यात्रा से अलग रहे। कांगेे्रस सुरक्षा का और वहां के लोगो में भाजपा कि खिलाफ आक्रोश की बात कह रही है और कह रही है यहां लोग सन्तुष्ट नहीं है। असुरक्षा महसूस करते है खासतौर से 370 खत्म किये जाने के बाद। अगर वहां का माहौल सुधरा न होता। तो क्या वे यात्रा कर पाते, लाल चैक पर झन्डा फहरा पाते। विरोध के लिये विरोध की नीति बड़े स्तर के नेताओं को शोभा नहीं देती।
कांग्रेस व्यर्थ के बयान छोड़ यात्रा से क्या लाभ मिला इस पर विचार करना चाहिये। इस यात्रा से वह कांग्रेस के सर्वोच्च नेता है आभास दिया। पर यह तो कब से घोषित है। जब से वह राजनीति में आये तभी से उन्हें यह मान्यता मिली हुई है। राजनीति के लिये पूरी तरह उन्हें टयूटोरियल क्लास चलाक कर प्रवक्ताओं की फेकेल्टी बनाकर और कोर्स कान्टेन्ट तैयार कर उन्हें पढ़ाया गया। वह कितना कारगर है जबसे वह राजनीति में आये लोग देख रहे है।
राहुल मोदी सरकार पर नफरत फैलाने का आरोप लगाये रहते है। पर उन्होनंे खुद ही स्वीकार किया कि 2800 कि.मी. की यात्रा में कहीं भी नफरत नहीं दिखी। कांग्रेस की यात्रा में कही भी नफरत नहीं दिखी। कांग्रेस की यात्रा की सफलता होने वाले चुनावों में उनके पक्ष में पड़े मतदानों से होगी। नफरत खत्म कर विपक्षी एकता स्थापित करने का सपना पूरा होने का नहीं दिख रहा है। विपक्ष के नेता बनेगे यह भी सम्भव नहीं दिखता। क्योंकि तीसरा मोर्चा भी बन रहा है। केसीआर लगे हुये है तीसरा मोर्चा बनाने में। कुछ विपक्षी नेता उनसे जुड़े भी। नितीश इसमें शामिल न होने की बात कही है। ममता और नितिश की मन्शा क्या है जाहिर नहीं किया है। केसीआर ममता सम्भवतः नितीश में संयुक्त नेता बनने की चाह करवटे ले रही है जो विपक्ष के एकता में बाधा है। यात्रा में कांग्रेस के सहयोगी दल तो साथ आये पर अन्य दलों ने दूरी बनाये रक्खी है। कांग्रेस को सोचना चाहिये विपक्षी दल उनसे क्यों दूरी बनाये हुये है। कांग्रेस को इस यात्रा से क्या हासिल हुआ अब इस पर विचार करें।
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