चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का अधिवेशन

0
68

एस.एन.वर्मा

16 अक्टूबर को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बीसवीं नेशनल कांग्रेस शुरू होगी। इसमें जिनपिंग को लीसे टर्म के लिये सेकरेटरी जेनरल सेकरटी के लिये स्वीकृत दी जायेगी। नेशनल पीपल्स के कांग्रेस में मार्च में राष्ट्रपति के लिये पुष्टीकरण की जायेगी। जेनरल संकरेटरी का पार्टी और कांग्रेस पर पूरा दबदबा रहता है। उसी के द्वारा दिये गये निर्देशो का हूबहू पालन होता है। कांग्रेस में वही सब होगा जो जिनपिंग ने तय कर दिया होगा।
पूर्व नेता डेूग वसीयत छोड़ गये है सीसीपी जेनरल सेकरेट पांच साल का दो टर्म पूरा करने के बाद पद छोड़ देगे। जियांग जेमिन और हूं जियन्टावो ने इसका पालन किया। जिनपिंग इसे दर किनार करते हुये पार्टी पर पकड़ बना रक्खी है तीसरा टर्म पाने के लिये जिनपिंग अपने लिये पूरे जीवन काल के लिये भी व्यवस्था कर सकते है। क्योंकि अपने विरोछियों को समाप्त कर दिया है। हर अहम जगह और पार्टी में, कमेटी में अपने आदमी रक्खे है। यहां तक की सेना में ही अपने ही आदमी को बैठाया है। पार्टी महासचिव और सेन्ट्रल मिलिटरी कमीशन प्रमुख बने रहने का फैसला इसी कांग्रेस हो सकता है। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान और अभिवयक्ति आजादी पर कड़ी कारवाई कर विपक्षियों को पहले ही साफ कर चुके है।
कांग्रेस के लिये खयानमेन चौके के ग्रेट हाल में करीब 2300 प्रतिनिधि आयेगे। इनमें से करीब 200 को केन्द्रीय समिति में शामिल किया जायेगा। 170 वैकल्पिक सदस्य भी होगे। केन्द्रीय समिति 25 लोगो को वोलित ब्यूरो के लिये चुनेगी। पोलिस ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्यों को चुनेगी। स्टैन्डिंग समिति में 7 सदस्य है चिनफिंग भी इस समिति में है। खास बात यह है समिति में केवल पुरूष ही होते है।
जिनपिंग की महत्वकाक्षा उन्हें कुर्सी छोड़ने से रोकती रहती है वह भी उत्सेतंुग के को नेता बनना चाहते है। इतिहास अपनी जगह पक्की करना चाहते है। तानाशाह को जिन्दगी भर कुर्सी बने रहने की तमन्ना होती है। जिनपिंग ने देश के लिये कुछ अहम कदम भी उठाये है। चीन को अब नवाचार की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते है उनका प्रयास आगे की ओर सफलता से बढ़ रहा है। इन्होंने पीपल्स लिबरेशन आर्मी को आधुनिक शस्त्रों से लैस आधुनिक सेना बनाना चाहते है। इसके लिये नये नये वेपन सेना को मुहैया कराते जा रहे है।
चीन आगे तो बढ़ रहा है पर ग्रोथ की रफ्तार धीमी पड़ गई है पर अभी भी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकान भी है। वह अमेरिका को पछाड़ नम्बर एक पर आना चाहता है। एशिया में सबसे बड़ी शक्ति बनना चाहता है। अमेरिका की ताकत से ऊपर उठना चाहता है। अपने प्रदर्शन से लोगो को प्रभावित करने की कोशिश करता रहता है।
जिनपिंग ने डेग के विकेन्द्रीकरण को ज्यो अर्थतन्त्र और राजनीति में कायम किया था मिटा दिया है। किसानो और उद्योगपतियों को स्वतन्त्रता थी चाहे जितना माल पैदा करे चाहे जा हो बेचे इससे चीन के अर्थतन्त्र में अश्चर्यजनक बढ़ोतरी है की जिनपिडा सबका केन्द्रीय करण कर दिया है। अब ग्रोथ धीमी हो गई है।
इन वजहांे से लोगो में असन्तोष और विरोध भी है। पर जिनपिंगे और उनके आदमी, दकनालजी के बल पर जासूसी कर सबको निपटाते चले जा रहे है। जनता कोविड प्रबन्धन को लेकर भी असन्तुष्ट है। लाकडाउन से परेशान है। जनता पूरी तरह प्रशासन के जकड़न में है।
इस समय चीन पर जिनपिंग ने अपना अकेला एक क्षत्र राज कायम कर लिया है। विरोध डटसदेब गया है। कुछ उमरा तो उसे निर्दयता के साथ मिटा दिया है। उनको वहम वह दुनियां में बड़े कामों के लिये पैदा हुये है। इतिहास उनके पीछे चलेगा। भारत का विकास उन्हें सुहाता नही है। भारत से उनका बैर बना रहेगा क्योेंकि एशिया में वही उनका मुकाबला कर सकता है। ताईवान को चीन में मिलाने के लिये बेक़रार है। विश्व को अशान्ति के कगार पर ढकेलने को अमादा दिखते है।
इस कांग्रेस के बाद जब उनको आगे के कार्यक्रम के अनुमोदन मिल जायेगा। तो उत्साहित हो क्या क्या करेगे देखने के लिये तैयार रहना पड़ेगा। भारत को उनसे दोस्ती की उम्मीद करना बेकार है। चीन अब बुद्ध वाल चीन नही है माउत्सेतुंग वाला चीन है जिसके परमशिवय जिनायंग दिख रहे है। चीन की इस बैठक पर दुनियां की नजर है। अधिवेशन से अच्छी बतो की उम्मीद नही की जा सकती। बदनाम गुलिस्तां करने को एक ही उल्लू काफी है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here