मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में केंद्र सरकार से सीएए वापस लेने की अपील की गई है।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, विपक्षी भाजपा ने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ कदम करार दिया। राज्य के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बुधवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक का ब्यौरा देते हुए कहा कि इसमें प्रस्ताव पारित कर सीएए को वापस लेने का आग्रह किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि धर्मनिरपेक्षता भारत के संविधान की आधारभूत अवधारणा है, जिसे बदला नहीं जा सकता, संविधान की उद्देशिका में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, साथ ही संविधान का अनुच्छेद 14 देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों के समानता के अधिकार और कानून के अंतर्गत समानता की गारंटी देता है।
राज्य सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि सीएए, जिसे दिसंबर 2019 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया है, के द्वारा धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद के प्रावधान वर्णित हैं, यह संविधान में प्रावधान इस धर्मनिरपेक्ष आदर्श के अनुरूप नहीं है।
भारतीय संविधान को अंगीकृत किए जाने के बाद यह पहला अवसर है, जब धर्म के आधार पर विभेद करने के प्रावधान संबंधी कोई कानून देश में अधिनियमित किया गया है, इससे देश का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप और सहिष्णुता का ताना-बाना खतरे में पड़ जाएगा।
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि इस कानून में ऐसे प्रावधान क्यों किए गए हैं, जो लोगों की समझ से परे हैं, साथ ही जन सामान्य में आशंका को भी जन्म देते हैं।
परिणामस्वरूप देशभर में इस कानून का व्यापक विरोध हुआ है एवं हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस कानून के विरोध में निरंतर प्रदर्शन देखे गए हैं, जो शांतिपूर्ण रहे और जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोग शामिल रहे हैं।
केंद्र के लिए भेजे जाने वाले प्रस्ताव में कहा गया है कि इन तथ्यों के परिपेक्ष में यह स्पष्ट है कि सीएए संविधान की आधारभूत विशेषताओं और समानता के उपबंधों का उल्लेख करता है।
इसलिए संविधान के मौलिक स्वरूप एवं मंशा के अनुसार, धर्म के आधार पर किसी भी तरह के विभेद से बचने के लिए एवं भारत में समस्त पंथ समूहों के लिए कानून के समक्ष समानता को सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश शासन, भारत सरकार से इस कानून को निरसित करने के लिए आग्रह करता है।
साथ ही मध्यप्रदेश शासन, भारत सरकार से इस कानून को निरसित करने के साथ-साथ जनमानस में उपजी आशंकाओं को दूर करने के लिए ऐसी नई सूचना जिन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2020 में अद्यतन करने के लिए चाहा गया है।
वापस लेने एवं उसके पश्चात ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के अधीन गणना करने का कार्य हाथ में लेने का आग्रह करता है। राज्य सरकार के प्रस्ताव को भाजपा ने औचित्यहीन करार दिया है।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है, सीएए के खिलाफ संकल्प पारित किया जाना संविधान और संघीय ढांचे की एकदम विपरीत है।
सीएए को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ सिर्फ भ्रम फैलाने की एक और नाकाम कोशिश कर रहे हैं, जिसे जनता पूरी तरह समझती है। भार्गव ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें देश की सबसे बड़ी पंचायत का काफी अनुभव है, वे भलीभांति जानते हैं कि राज्यसभा और लोकसभा में जिसे कानून का रूप दिया गया है, उसे राज्यों को लागू करना ही पड़ता है।
लेकिन कमलनाथ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर सिर्फ और सिर्फ संविधान का अपमान कर रहे हैं। उनका यह व्यवहार संघीय ढांचे को चुनौती देने का अमर्यादित आचरण है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कैबिनेट में सीएए कानून के खिलाफ संकल्प पारित किए जाने पर कहा कि यह संविधान के विपरीत निर्णय है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ कितने भी प्रयास कर लें, प्रदेश में सीएए तो लागू होकर रहेगा। इसे लागू होने से दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं सकती।