नारी शक्ति के प्रति प्रतिद्धता

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एस. एन. वर्मा

केन्द्र सरकार महिलाओ को सशक्त बनाने के लिये कई कदम उठाये है उठाती जा रही है। नारी शक्ति के प्रति उसके प्रतिबद्धता के सबूत है। महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में हिस्सेदारी के लिये कोटा निर्धारित कर दिया है। अब सैन्य महिला कर्मियों को शिशु देखभाल व दत्तक ग्रहण अवकाश देने सम्बन्धी प्रस्ताव मन्जूर कर दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मन्जूरी दे दी है। अब सशस्त्र बलो में महिला सैनिको, नाविको, वायु सेनिको के लिये समकक्ष अधिकारियों के बराबर ये अवकाश मिलेगा। महिला अधिकारियों को हर प्रसव के लिये 180 दिन का अवकाश मिलता है। यह नियम दो बच्चों के लिये लागू है। सम्पूर्ण सेवा काल में महिला अधिकारियों को 360 दिनों का शिशु देखभाल अवकाश भी मिलने का प्रावधान है। शर्त है बच्चा 18 साल से कम उम्र का होना चाहिये। एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे को गोदलेने पर 180 दिनो का ग्रहण छुट्टी दिये जाने का भी प्रावधान है। सेना की सेवा बहुत सख्त और खतरों से भरा रहती है। चूकि महिला को घरेलू कर्तव्यों में बच्चे का लालन पालन देख भाल बहुत अहम होता है, इसके अलावा उन्हें और भी घरेलू काम करने पड़ते है। रिश्तेदारो, कुटुम्बियो, पड़ोसियों से अच्छे सम्बन्ध उन्हीं पर ज्यादा निर्भर रहता है। इसके अलावा छोटे बच्चों को टयूशन भी देती है। यानी काफी उलझनपूर्ण जिन्दगी होती है। सेना मेंु कार्यरत स्वम् काम करने की इच्छा यह सुधारात्मक कदम सबित होगा। इस सुधार से महिलाओं में सैन्य सेवा के लिये प्राथमिकता बढ़ेगी। वीर बेटियों में कई झांसी की रानी व दुर्गावती साबित होगी। सेना की कई शाखायें महिलाओं के लिये खोल दिये गये है। इससे निचले स्तर की सेवाओं में नारियों की उपस्थिति बढ़ेगी।
इस समय सैन्य सेवा में महिलाओं की भागीदारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इस समय वायुसेना 1650 अधिकारी 100 महिला मिलिट्री यानी अग्निवीर कार्यरत है। नौ सेना में 580 अधिकारी, और सवा सात सौ के करीब नाविक अग्निवीर कार्यरत है। इजराइल में पुरूष महिला दोनो मिलिट्री टेªनिंग से लैस है। इसलिये उनसे टकराने से लोग डरते है। वह जब चाहते है इच्छित देश में चले जाते है और सैनिक कार्यवाई करके सुरक्षित अपने घर लौट आते है। उनकी बहादुरी और जांबाजी के आगे, दुनियां नतमस्तक है। उनसे टकराने की हिम्मत कोई देश जल्दी नही कर पाता है। अभी हमास आतंकियों ने इस्रराइल के उत्सव सभा में जाकर हमला किया था कुछ लोग मारे भी गये थे। अब इस्रराइली उन पर हमलावर है उन पर हाबी भी है, गाजा मिटने के करीब है। अपने धार्मिक कथाओं में दुर्गा, काली, आदि देवियों की श्रेणी में आती है पर जरूरत पड़ने पर असुरों का संहारक भी बन जाती है। मतलब यह है कि महिलाऐं युद्ध और सुरक्षा में पुरूषों से कम नही होती है। बताते है एनडीए में 2025 में पहले महिला बैच की पैठ हो जायेगी।
ये तो युद्ध में भाग लेनें वाली महिलाओं की जानकारी है जो किसी भी मोर्चे पर जाने को तैयार है। वाकई घर और मैदान में सैन्य कर्म का अवदान कितना दुरूह होगा। पर महिलाऐं इससे विचलित नहीं दिखती है। उनमें जोश और उत्साह दोनो ठाठे मार रहा है। इन्हें देख कर कवि जयशंकर प्रसाद की ये लाइने याद आने लगी है। नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में पियूष श्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल में। नारी सैन्य और घरेलू कर्तव्य दृढ़ता और कुशलता से निभाने के लिये सक्षम है। हम देख रहे है इस समय नारियों हर क्षेत्र में अपना झन्डा गाड़ा रही है। उन्हें प्रदत्त इस ईश्वरी वरदान से उनके प्रति सर श्रद्धा में झुक जाता है।
मैदानी सेवा के अलावा मेडिकल, डेन्टल और नर्सिंग कांर में भी 6.500 से ज्यादा अधिकारी और कार्मिक सेवरत है। भारतीय परम्परा और सामाजिक व्यवस्था जो मर्दो द्वारा बनाई गई है उसमें नारियों को कैरियर के साथ पारिवरिक जिम्मेदारियां भी हैं जिन्हें उन्हें निभाना लाजमी है। इससे उन पर जिम्मेदारियो का दबाव बना रहता है। वे समाज में डबल रोल प्ले करती है। देखने में आ रहा है वे दोनो रोल कुशलता से और प्रसन्नतापूर्वक निभा रही है। हालाकि इससे चलते घरेलू उलझने बढ़ गई है। तलाक और अलगाव भी हो रहे पर अपवाद हर क्षेत्र में होते है। अपवाद से परम्परा नहीं बनती है। बच्चों का पालन पोषण उनकी नैसर्गिक जिम्मेदारी है और इसकी योग्यता भी उनमें ईश्वरप्रदत्त है। सभी जिम्मेदारियों का दबाव वे कुशलता और प्रसन्नता से निभा रही है। प्रकृति की ओर से ऐसी व्यवस्था है और मेडिकल कारक भी ऐसे है कि प्रसूताओं की इस बीच में आराम की बेहद जरूरत होती हैं औरत बडी सेवा में हो या छोटी सेवा में जच्चा बच्चा की बेहतरी के लिये सरकार द्वारा प्रदत्त किये जा रहे अवकाश की उपयोगिता और महत्व को नकारा नहीं जा सकता। यही बातें दत्तक पुत्र के सन्दर्भ में भी आवश्यक होती है। सेवा में हर क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता बढ़ती जा रही है। वे नौकरियों की जिम्मेदारियों सभालते हुये परिवारिक जीवन में बेहतरीन सन्तुलन बनाते हुये आगे बढ़ रही है। सरकार की छुट्टी की पहल समाज के लिये सार्थक स्थितियां पैदा करेगी इसमें सन्देह नहीं है।
जो महिलायें सैन्य सेवा के लिये आकर्षण रखती है उनमें सरकार द्वारा प्रदान की जा रही छुट्यिों के मार्फत अधिकधिक संख्य में आने को उत्साहित होगी। उनके सपनो को जमीन मिलेगी। सपनों में निगाहें आसमान में हो पर पैर तो जमीन पर ही होना चाहिये तभी सपने सफल होते है।

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