अवधनामा संवाददाता
प्रयागराज : (Prayagraj) यूपी के प्रयागराज व वाराणसी आने वाले धार्मिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधा देने के लिए दोनों धार्मिक नगरी के बीच रैपिड रेल यानी रीजनल रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) सेवा शुरू करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री ने आवास विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी है। आवास विभाग इसका परीक्षण कराएगा कि इस पर कितना खर्च आएगा और इसे चलाना कितना फायदेमंद होगा।
प्रयागराज और वाराणसी का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। संगम में स्नान करने के लिए देश से ही नहीं विदेश से भी काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसी तरह वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सोमनाथ की तर्ज पर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है। वाराणसी या प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु अमूमन दोनों शहरों में आते और जाते हैं। राज्य सरकार इसीलिए चाहती है कि इन दोनों शहरों को जोड़ने के लिए बेहतर सुविधा दी जाए।
क्या है रैपिड रेल
रैपिड रेल तेज गति से चलने वाली ट्रेन है। प्रति घंटा 160 से 180 किमी की रफ्तार से यह ट्रेन चलती है। औसतन 100 किमी प्रति घंटे के रफ्तार से चल सकती है। मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण से इस पर अधिक खर्च आता है। इसके लिए अलग से कॉरिडोर बनाया जाता है।
तीस हजार करोड़ खर्च
प्रदेश में मौजूदा समय रैपिड रेल के लिए दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ कॉरिडोर परियोजना पर काम चल रहा है। इस परियोजना पर 30274 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यहां रैपिड रेल 2023 में चलाने की तैयारी है। इससे मेरठ और आसपास के लोगों का दिल्ली जाना आसान हो जाएगा।