नगर पंचायत बांसगांव के अध्यक्ष के अधिकारों की बहाली के रास्ता साफ

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Clear the way for the restoration of the rights of the President of Nagar Panchayat Bansgaon

अवधनामा संवाददाता

हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने अध्यक्ष की याचिका पर दिया स्थगन आदेश
गोरखपुर (Gorakhpur)। एक वर्ष से अधिक समय से बिना अध्यक्ष के और विकास की दौड़ में हाशिये पर पहुंच चुके नगर पंचायत बाँसगाव के लिए एक अच्छी खबर आयी है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अतुल कुमार शाही की मजबूत दलीलों के बाद प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों की बहाली को लेकर नगर पंचायत बांसगांव के अध्यक्ष वेदप्रकाश शाही की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने स्थगन आदेश दे दिया।
कोर्ट के दखल के बाद अब नगर पंचायत अध्य्क्ष वेद प्रकाश शाही के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों की बहाली का रास्ता लगभग साफ हो गया है और सोमवार तक उनके दोबारा पद ग्रहण करने की संभावना है।
बताते चले की पिछले वर्ष नगर पंचायत बांसगांव में गबन के एक मामले को लेकर जिलाधिकारी द्वारा नगर पंचायत अध्यक्ष बांसगांव के अधिकारों को  स्थगित करते हुए एसडीएम बांसगांव को नगर पंचायत का प्रशासक नियुक्त कर दिया गया था।
हालांकि जिस रकम के गबन की बात को लेकर तत्कालीन डीएम के0 विजेंयेद्र पांडियन ने अध्यक्ष के अधिकारों को सीज किया था वह एक सरकारी संस्था के खाते में थी जिसे बाद में नगर पंचायत के खाते में वापस कर दिया गया था।
इसके बाद जिलाधिकारी द्वारा प्रशासक नियुक्त करने के आदेश को शासन द्वारा विगत 13 अगस्त 2020 को निरस्त कर दिया गया, लेकिन बावजूद इसके अध्यक्ष के अधिकारों की बहाली का कोई आदेश जिलाधिकारी द्वारा नहीं जारी नही किया गया था।
महीनों की भागदौड़ और अत्यधिक दबाव के बाद त्योहारों के मद्देनजर नगर पंचायत बांसगांव के कर्मचारियों का वेतन भुगतान एवं नगर पंचायत में साफ सफाई किए जाने तथा व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन हेतु तत्कालीन जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा नगर पंचायत अध्यक्ष बांसगांव के अधिकारों को 13 अगस्त 2020 को शासन से जारी उसी पत्र का हवाला देते हुए आंशिक रूप से बहाल किया गया था।
इसके कुछ दिनों बाद ही दोबारा अध्यक्ष के पावर को एसडीएम बांसगांव में समाहित करने का आदेश जारी कर दिया गया था जिसके बाद अध्यक्ष वेद प्रकाश शाही को न्यायालय का रुख करना पड़ा था।
बहरहाल न्यायालय के दखल के बाद नगर पंचायत अध्यक्ष की याचिका पर हाई कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने से एक तरफ जहां अध्यक्ष के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ है तो वहीं कोर्ट के इस आदेश से नगर पंचायत में विकास के कामों को गति मिलने की उम्मीद की जा रही है।
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