अवधनामा संवाददाता
शहर के चर्चों में उमड़ी रही भीड़
देर रात तक चला शुभकामनाएं देने का सिलसिला
बांदा। क्रिसमस पर्व परंपरा और हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। शहर के तीन अलग-अलग गिरिजाघरों में विशेष प्रार्थनाएं हुईं। बड़ी संख्या में इसाई समुदाय के महिला-पुरुष और बच्चे शामिल हुए। क्रिसमस ट्री और झांकियां सजाने के साथ ही घरों में एक-दूसरे को मुबारकबाद का आदान-प्रदान हुआ।
पूर्व संध्या से ही चर्च सज-संवरकर जगमगा उठे थे। रविवार को सुबह यहां विशेष पूजा और प्रार्थनाएं हुईं। प्रभु यीशु की आराधना की गई। चिल्ला रोड स्थित सेंट जार्ज चर्च (आवास विकास) में सुबह 9 बजे और रोडवेज के सामने स्थित सेंट पाल्स चर्च में सुबह 11 बजे विशेष सामूहिक प्रार्थनाएं हुईं। दोनों चर्चों में पादरी अनुपम जान ने सामूहिक आराधना और प्रार्थना कराई। उन्होंने कहा कि प्रभु ईसा मसीह का जन्म संसार का उद्धार करने के लिए हुआ था। उन्हें मां मरियम ने जन्म दिया। जन्मदिन के मौके पर गीत ‘मेरा प्रभु जन्मा, प्यारा प्रभु जन्मा’ गाए गए। दोनों गिरिजाघरों में क्रिसमस ट्री और ईसा मसीह के जन्म से संबंधित झांकियां भी सजाई गईं। इसाई समुदाय के लोगों को अन्य धर्मावलंबियों ने उनके घर जाकर क्रिसमस की बधाइयां दीं। सेंट जार्ज स्कूल प्रधानाचार्य एल्बर्ट रस्किन की अगुवाई में प्रभात फेरी निकाली गई। चर्च के सचिव अल्बर्ट रसकिन ने बताया कि ईसाई समुदाय से जुड़े लोगों के घरों में विशेष पकवान बनाये जाते हैं और सभी मिलकर इन पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। देररात तक क्रिसमस की शुभकामनाएं देने का सिलसिला चलता रहा। इस मौके पर रोमियो दास, एल्फ्रेड रस्किन, एस्टर पारूल, रोहित, मानसी, प्रिंसी, किशन, सुप्रिया, पीटर, सचिन आदि उपस्थित रहे। उधर, तिंदवारी रोड स्थित सेंट मैरीज सीनियर सेंकेंडरी स्कूल परिसर में स्थित गिरिजाघर में फादर विन्सेट अलबर्ट ने सुबह आठ बजे विशेष प्रार्थना कराई। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रभु यीशू ने जन्म लेकर जन कल्याण के कार्य किए। प्रभु यीशु से प्रार्थना की गई। प्रभु यीशु के जन्म दिन पर गिरिजाघरों में विशेर्ष प्रार्थना की गई। चिल्ला रोड स्थित सेंट जार्ज चर्च और रोडवेज के सामने स्थित सेंट पाल्स चर्च में देश की एकता और अखंडता के साथ कोरोना के खात्मे के लिए विशेष प्रार्थना की गई। सेंट जार्ज स्कूल प्रधानाचार्य चर्च सचिव एल्बर्ट रस्किन ने कहा कि क्रिसमस प्रेम और भाईचारे के पर्व है। प्रभु यीशु का जन्म मानव समाज में प्रेम का संदेश देने के लिए हुआ था।