नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन की शहादत के चालीस दिन पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर साेमवार काे मजालिस-ए-चेहल्लुम का आयोजन कर इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादतों के पैगाम को आम करने पर जोर दिया जाएगा।
इस्लामिक वर्ष के पहले माह मोहर्रम की दस तारीख को करबला की जंग में नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन को शहीद कर दिया गया था। फातिमा के लाल की खता ये थी कि उन्होंने जालिम के हाथ पर बैयत नहीं की। जुल्म और जब्र के आगे सर कटाना गवारा किया, लेकिन सर झुकना नहीं। उनकी शहादत की याद में शियाओं में मोहर्रम से लेकर सवा दो माह तक लगातार मातम मजलिस का सिलसिला चलता है।
इसी क्रम में शहादते हुसैन के चालीस दिन मुकम्मल होने पर चेहल्लुम का आयोजन किया जाता है। आज सोमवार को मनाया जाएगा। इसे लेकर करबला में तमाम तैयारियां मुकम्मल कर ली गईं हैं। परम्परागत ढंग से ताजिये सुपुर्द-ए-खाक कर शोहदा-ए-करबला को सलाम पेश किया जाएगा। प्रमुख स्थानों पर फोर्स तैनात रहेगा। बहरुनी अंजुमने सिबतैनिया संडीला, अंजमने जुल्फिकार ए हैदरी खाता सादात बरेली, अंजुमने तंजीम ए जाफर हरदोई, अंजुमने शमशीर-ए-हैदरी दहेलिया के साथ मुकाती अंजुमनो में सज्जादिया पियाबाग, रौनकें अजा कोट कला, हुसैनिया खुरमूली, दस्ते-ए-हैदरी मीरसराय की अंजुमने नौहा ख्वानी व सीनाजनी करेंगी। मजलिस को खिताब शिया धर्मगुरु मौलाना फरमान अली व मौलाना वजीहुल करेंगे। निजामत व नकाबत कानपुर के मौलाना तालिब हुसैन करेंगे। काशिफ ककरौलवी के संचालन में नोहाख्वानी की जाएगी। सैफ हसन जैदी, मीशम मिर्जा, बब्बन तैय्यब आदि लोग व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं।