अजमेर के जिला एवं सेशन न्यायाधीश के अवकाश पर होने के चलते टली सुनवाई
अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे को लेकर हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा अपने वकील के जरिए दायर वाद पर शनिवार को सुनवाई नहीं हो सकी। जिला एवं सेशन न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण सुनवाई को 10 अक्टूबर तक टाल दिया गया। अब दस अक्टूबर को निश्चित होगा कि इस वाद पर कौन न्यायाधीश सुनवाई करेगा और सुनवाई किस कोर्ट में होगी। पूर्व में इस मामले में सिविल न्यायाधीश की अदालत में दायर वाद को सुनवाई से इनकार करते हुए न्यायालय ने उचित अदालत में वाद प्रस्तुत करने को कहा था।
एडवोकेट शशि रंजन सिंह ने बताया कि इस मामले में एक दिन पूर्व जिला एवं सत्र न्यायालय के समक्ष ट्रांसफर पिटीशन लगाई गई थी। शनिवार को इस मामले में सुनवाई होनी निश्चित थी किन्तु न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण सुनवाई 10 अक्टूबर तक टल गई। अब जब सुनवाई होगी तो यह तय होगा कि मामले को किस न्यायालय में कौन जज सुनेगा।
हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने शनिवार को भी मीडिया के समक्ष कहा कि दरगाह को हिंदू मंदिर तोड़कर बनाया गया है। उन्होंने मीडिया से कहा कि न्यायालय में प्रस्तुत वाद में चार मांगे रखी गई है जिसमें प्रमुख रूप से दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किए जाने, दरगाह में मंदिर के स्थान पर पूजा का अधिकार दिए जाने, एएसआई का सर्वे कराए जाने तथा दरगाह का यदि कोई रजिस्ट्रेशन है तो उसे रद्द किए जाने की मांग शामिल है। उन्होंने कहा कि इस मामले में शीघ्र ही हिन्दुओं को न्याय मिलेगा। उनका न्यायालय पर भरोसा है।
मुकदमा दर्ज कराने के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग
दूसरी और अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह स्थित अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती ने बयान जारी कर दरगाह को मंदिर घोषित करने के मामले पर ऐतराज दर्ज कराया है। साथ ही उन्होंने हुजूर रसूल की शान में गुस्ताखी करने वालों, इस्लाम के खिलाफ अनर्गल बयान देने वालों के खिलाफ चाहे वे देश के किसी भी प्रांत के हों, मुकदमें दर्ज कर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है। सरवर चिश्ती ने कहा कि आए दिन हुजूर रसूल के खिलाफ कोई ऐरा गैरा कुछ भी बोल जाता है इसे मुस्लिम समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों को भी उलाहना दिया कि वे इस तरह रसूल की शान के खिलाफ बोलने पर भी खामोश क्यों रह जाते हैं ? जबकि वे अंजुमन के पदाधिकारी होने के नाते विरोध दर्ज कराते हैं तो उन्हें ही नसीहत देने चले आते है कि क्यों बात को बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब यह से बर्दाश्त के बाहर है। इस संबंध में दरगाह पुलिस थाने में मुस्लिम समुदाय के कुछ प्रतिनिधि द्वारा दरगाह पुलिस थानाधिकारी से मिल कर एक रिपोर्ट पेश की गई है और उन्हें मामले में शीघ्र ही कार्रवाई करने का आग्रह किया।