अवधनामा संवाददाता (शकील अहमद)
विभागीय उदासिनता के चलते नहरें बेपानी
धान का बेहन गिराने को लेकर किसान चिन्तित
कुशीनगर। सरकार द्वारा किसानों को अच्छे फसल पैदा करने के लिए जगह-जगह नहरें व माईनरें खुदवाकर सुविधा से लैश किया है वहीं इन नहरों व माईनरों मे पानी न आने से किसानों के धान के बेहन गिराने व गन्ने की सिंचाई सहित अन्य कार्यो में बांधा उत्पन्न हो रही है। सरकार किसानो के मसीहा होने का ढोल पीटती है लेकिन सरकार का दावा तार-तार नजर आ रहा है। क्योंकि नहरें व माईनरों में विभागीय उदासिनता के कारण न तो शिल्टो की सफाई हुयी है और ना ही सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था ही की गयी है जिससे नहरें सुखी पड़ी हुयी है।
बतादे कि कुशीनगर में खेती के लिए बरदान माने जाने वाली नहरें व माइनर इस समय बेपानी है। नहर में पानी न होने से किसान अपना धान का बेहन पम्पिंग सेट चलाकर गिरा रहा है लेकिन अब बेहन की सिंचाई को लेकर चिंतित दिखाई दे रहा है क्योंकि नहरों में पानी न होने से पम्पिंग सेट से पानी चलाया जायेगा जो किसानों के जमा राशि इसी सिंचाई में खत्म हो जायेगा और अन्य कार्य बाधित हो जायेंगे। ज्ञात हो कि मोतीचक विकास खंड के लक्ष्मीपुर-मथौली माइनर, सेमरा-मुड़िला नहर व झांगा नहर, हरपुर मौन नाला में इस समय पानी न होने से धान की रोपाई के प्रति अभी से चिंता लगी है। इस तरह की हालात जनपद के सभी हिस्सों में नहरों व माईनरों में देखनो को मिल रही है जहां नहरे सुखी पड़ी है धुल चाट रही है। उक्त क्षेत्र के किसानों के गन्ना, सब्जी, मक्का की सिंचाई न होने के कारण सुखने के कगार पर है माइनर व नहरों में पानी का कोई अता पता नहीं है, गन्ने की फसल बरबाद न हो इसके लिए किसान नहरों के तरफ मुह घुमाये खड़ा है। प्राकृतिक आपदा के चलते बरबाद हो रही खेती से परेशान किसानों ने इस बार अच्छे मानसुन के उम्मीद में तेजी से धान का बेहन गिराना शुरू किया सबको उम्मीद थी कि जल्द ही नहरों, माइनरों में पानी आ जायेगा, परन्तु नहरों में आजतक पानी नही आया। समय से नहरों में पानी नही आयेगा तो धान के गिराये बेहन व रोपाई किस तरह होगी और धान की रोपाई के लिए पम्पिंग सेट का सहारा लेना पड़ेगा। कुल मिलाकर सिंचाई संसाधनों को लेकर किसान खुन के आंसू रोने को विवश है।
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