अवधनामा संवाददाता
बोदरवार, कुशीनगर। देवरिया राजवाहा की बड़ी नहर में बहने वाला पानी का रंग काला हो गया है। जिसके कारण जहां किसान परेशान हैं वहीं सिंचाई विभाग मौन है। किसानों ने संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों से पानी के गुणवत्ता की जांच करने की मांग की है ताकि समय रहते फसल व खेतों को बचाया जा सके।
महराजगंज से चलकर देवरिया तक बहने वाली देवरिया राजवाहा की बड़ी नहर किसानों के खेतों के लिए वरदान है।इस नहर से हजारों हेक्टेयर खेतों की सिंचाई की जाती है। आजकल नहर में बहने वाला पानी काला होता जा रहा है जिसको लेकर नहर से सिंचाई करने वाला किसान भयभीत और परेशान है। जमुनी बरवा,साखवापार,सुधियानी, बड़हरा, भगवानपुर, मोहनमुंडेरा, चकिया, मठिया, बनकटा, कोड़रा, सोढरा जमुआन सहित सैंकड़ों गांवों के किसानों ने आशंका जताई है कि अगर नहर का पानी किसी केमिकल के दूषित पानी से काला हो रहा है तो उसका प्रभाव फसलों के साथ साथ भूमि, पशु-पक्षियो और मानव जाति पर भी पड़ेगा। जब हिन्दुस्तान अखबार ने इसका पड़ताल किया तो पाया कि नहर का पानी काला हो रहा है। इसके तह में जानें से पता चला कि नहर खोदते समय मोहनमुडेरा और साखवापार के बीच बड़हरा सीवान में नहर पर एक साइफन/रेगुलेटर बना है जो नहर के ओवर फ्लो पानी को नियंत्रित करने के लिए खोला जाता है।इस साइफन का पानी भगवानपुर के पास से गुजरने वाले मौन नाले में खुलता है। इस मौन नाले में बहने वाला दूषित पानी साइफन से होकर अब नहर में गिर रहा है जिससे नहर में बहने वाला पानी काला होता जा रहा है। मौन नाले का पानी उल्टा नहर में गिरने का प्रमुख कारण है मेहड़ा और पोखरभिंडा गांव को जोड़ने के लिए मौन नाले पर बने पुल के पास पानी को रोककर मछली के लिए शिकारमाही करना है। हजारों हेक्टेयर भूमि और फसलों को बचाने के लिए किसानों ने संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों से जांच कर तत्काल प्रभाव से नहर में गिरने वाले काले पानी को रोकने की मांग की है ताकि समय रहते फसल, खेत, मानव और पशु-पक्षियों को किसी अनहोनी से बचाया जा सके।
Also read