भाद्रपद मास की सोमवती अमावस्या को बुंदेलों के द्वारा गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली गोरखगिरि की परिक्रमा लगाकर भक्तों ने परिवार की सुख शांति व समृद्धि की कामना की है। ऐतिहासिक गोरखगिरि की परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है।
बुंदेलों के द्वारा वर्ष भर पूर्णमासी और अमावस्या पर गोरखगिरि की परिक्रमा की जाती है। सोमवार को भक्तों ने राम धुन व शंख ध्वनि के साथ परिक्रमा पूरी की है।वनवास काल के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने गोरखगिरि पर्वत को अपनी निवास स्थली बनाया था। जहां पर श्री राम माता जानकी और अपने अनुज लक्ष्मण के साथ कुछ समय के लिए रुके थे।
बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर बताते हैं कि चित्रकूट में भगवान श्री कामतानाथ महाराज के दर्शन और परिक्रमा से जो पुण्य लाभ अर्जित होता है। वहीं पुण्य लाभ गोरखगिरि की परिक्रमा लगाने से भी मिलता है। भाद्रपद की सोमवती अमावस्या को सुबह से ही भक्तों ने ऐतिहासिक गोरखगिरि की भक्ति भाव से परिक्रमा की है। ऐतिहासिक परिक्रमा कुल पांच किलो मीटर की है, जहां परिक्रमा शिव तांडव मंदिर से प्रारंभ होकर श्री राम दरबार, मां छोटी चंद्रिका देवी मंदिर, नागोरिया मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों से होते हुए वापस पहुंचकर शिव तांडव में समाप्त होती है। बुंदेलों के द्वारा बढ़-चढ़कर ऐतिहासिक परिक्रमा में हिस्सा लिया जा रहा है।