अवधनामा संवाददाता
भारत के नेट जीरो विज़न 2070 को बढ़ावा देने के लिए विश्व के निर्माण मानकों को पीछे छोड़ते हुए यह देश में सबसे तेजी से किया गया निर्माण कार्य है
झाँसी: भारत की पहली नेट-जीरो निर्माण टेक कंपनी, बूटेस ने झाँसी में 90 दिनों के रिकार्ड समय में भारत के प्रथम और सबसे बड़े नेट-जीरो पुस्तकालय का निर्माण किया है।12000 वर्ग फीट की इस झाँसी जिला पुस्तकालय परियोजना को झाँसी विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा स्मार्ट सिटी, झाँसी के अंतर्गत पूरा किया गया है। यह परियोजना पढ़ने, करियर बनाने तथा व्यक्तित्व का विकास करने के लिए अनुकूल परिवेश प्रदान करती है।
भारत में उत्तरप्रदेश के श्रावस्ती में जेतवन मठ और बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन पुस्तकालयों की अध्ययन की विरासत को कायम रखते हुए, झाँसी का जिला पुस्तकालय समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाए गए डिजाइन की विचारधारा का मिश्रण है। झाँसी जिला पुस्तकालय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेट-जीरो विज़न 2070 के लक्ष्य को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। यह प्रथम और इकलौता नेट-जीरो पुस्तकालय है, जो साइट पर 100 फीसदी ऊर्जा उत्पन्न करती है और कार्बन उत्सर्जन में 85 फीसदी तक की कटौती करती है; अर्थात् इस पुस्तकालय में बाहर से विद्युत् की खपत नहीं होगी और साथ ही इससे जल एवं वायु प्रदूषण भी शून्य होगा। ज्ञातव्य रहे कि बूटेस कंपनी की टीम नई दिल्ली में हाल में निर्मित प्रधानमन्त्री संग्रहालय में प्रमुख भागीदार रही और गीता संग्रहालय, कुरुक्षेत्र में भी कार्य कर रही है ।
इस अवसर पर झाँसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री आलोक यादव ने कहा, “इमेजिन्ड इन इंडिया, इनोवेटेड फॉर इंडिया, इनस्टिल्ड इंडिया की मिसाल। बूटेस ने अत्याधुनिक वैश्विक टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर लाइब्रेरी की डिजाइनिंग और निर्माण किया। यह नेट-जीरो विजन 2070 की दिशा में भारत के सफर में क्रांतिकारी कदम है। यह पर्यावरण संरक्षण, नई तकनीकी और सामुदायिक सहयोग का प्रतीक है। इससे वह संसाधन मिलते हैं, जोकि युवाओं और बड़े पैमाने पर समुदाय को सीखने एवं ज्ञान को साझा करने में सक्षम बनाते हैं। हम 12 हजार वर्गफुट में लाइब्रेरी का निर्माण करने के लिए बूटेस की प्रशंसा करते हैं। इस पुस्तकालय में 90 दिनों के रेकॉर्ड समय में ग्रीन आर्किटेक्चर के तीन फ्लोर बनाए गए हैं जो आत्मनिर्भर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट सिटीज मिशन को सशक्त करते हैं।”
झाँसी जिला पुस्तकालय के निर्माता, बूटेस के प्रबंध निदेशक दीपक राय ने बताया, “हम इस नई तकनीकी के प्रयोग का अवसर प्रदान करने के लिए झाँसी विकास प्राधिकरण के बेहद आभारी हैं। जीडीए की उच्च दक्षता और उत्तर प्रदेश की सरकार वास्तविक रूप से पर्यावरण को संरक्षित रखने के उपाय और विकास के प्रति समर्पण का प्रतीक है। हमारा मानना है कि ये प्रयास भविष्य में अन्य योजनाओं में इसे अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे, जो प्रगति का सच्चा पैमाना और प्रतीक होगा। झाँसी जिला पुस्तकालय को बनाना हमारी टीम के लिए वास्तव में चुनौतीपूर्ण परियोजना थी क्योंकि हमें तेजी से काम करते हुए बिल्कुल समय पर नेट-जीरो प्रोजेक्ट प्रदान करना था । स्थायी और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने वाली बिल्डिंग निर्माण की प्रक्रिया को अपनाने में निर्माण उद्योग की दिलचस्पी बढ़ी है। बूटेस इसमें सबसे अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहा है। इस पर काम करते हुए निर्माण उद्योग स्थायी और आत्मनिर्भर इंफ्रास्ट्रक्चर हासिल करने के लिए नेट-जीरो प्रॉडक्ट्स की डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कर सकते हैं। हम अपने स्वीडन के तकनीकी सहयोगियों का भी आभार व्यक्त करते हैं। हम ऐसी ही एक परियोजना का कुरुक्षेत्र में गीता संग्रहालय के नाम से निर्माण कर रहे हैं।”
झाँसी जिला पुस्तकालय स्थिर और ठोस वास्तुकला का चमत्कार है। प्राचीन संसाधनों और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए यह लाइब्रेरी वास्तव में पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित बनाई गई है। यह पुस्तकालय छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस लाइब्रेरी के निर्माण में तीन स्तरों की विचारधारा को शामिल किया गया है, जिसमें स्थायित्व, ज्यादा से ज्यादा प्रभावशीलता और कम पर्यावरणीय प्रभाव शामिल है। पहले स्तर पर लाइब्रेरी को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें भरपूर कुदरती प्रकाश आए। लाइब्रेरी के निर्माण में पढ़ने के लायक बेहतर और अच्छा माहौल बनाने और स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए आकर्षित करने में सूरज की रोशनी के महत्व को ध्यान में रखा गया। लाइब्रेरी में सेहत के लिहाज से बेहतरीन अंदरूनी वातावरण बनाया गया है। इससे हवा से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से बचाव होता है और हवा की क्वॉलिटी में सुधार आता है। दूसरे स्तर पर लाइब्रेरी के निर्माण सिद्धांतों में साइट पर सोलर पीवी पैनल और विंड टरबाइन का इस्तेमाल कर 100 फीसदी रिन्युएबल एनर्जी का उत्पादन शामिल है। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है। इसमें ऊर्जा की कम खपत का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि एचवीएसी सिस्टम में सालाना बिजली की कुल खपत 30 मेगावॉट प्रति घंटे होती है, जो परंपरागत प्रणाली में होने वाली बिजली की 150 मेगावॉट सालाना खपत से बहुत कम है। तीसरे स्तर पर नेक्सट जेनरेशन की हीटपंप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बिल्डिंग को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि उससे कार्बन उत्सर्जन में 85 फीसदी की कटौती हो। यह आदर्श स्तर की कूलिंग और हीटिंग सुनिश्चित करने के लिए सोलर पीवी एनर्जी से लैस है। इससे ऊर्जा की खपत कम से कम होती है। लाइब्रेरी में जल संरक्षण के उपायों को भी अपनाया गया है। जल संसाधनों के संरक्षण के लिए इनमें वर्षा जल का संग्रहण और ग्रे वॉटर ट्रीटमेंट जैसे तरीकों की मदद ली जाती है। परिष्कृत बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम कंप्यूटर से कंट्रोल किए गए सिस्टम के माध्यम से पूरी लाइब्रेरी का प्रबंधन किया जाता है। इससे पर्यावरण के हानिकारक प्रभाव में कटौती होती है। झाँसी की लाइब्रेरी पूरी तरह से आधुनिक है, जिससे यह साफ नजर आता है कि किस तरह प्राचीन तकनीक को आधुनिक तकनीक में मिलाकर एक ऐसा माहौल और जगह बनाई जा सकती है, जो न केवल खूबसूरत हो, बल्कि क्रियाशील, स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण का माहौल बनाने की पूरी जिम्मेदारी निभाए।