Wednesday, July 30, 2025
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मेडिकल सहित सभी यूजी-पीजी कोर्सों की पुस्तकें अब 22 भारतीय भाषाओं में होगी उपलब्ध, जल्द ही शुरू होगा यह काम

शिक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। अब मेडिकल इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षा कोर्सों की पढ़ाई 22 भारतीय भाषाओं में हो सकेगी। मंत्रालय ने यूजी और पीजी कोर्सों की पुस्तकों को इन भाषाओं में अनुवाद कर डिजिटल रूप से उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना के तहत लगभग 60 हजार कोर्सों की ढाई लाख पुस्तकें चिन्हित की गई हैं।

मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट व फार्मेसी जैसे उच्च शिक्षा से जुड़े कोर्सों की राह में अब भाषा आड़े नहीं आएगी बल्कि छात्र अब अपनी पसंद से 22 भारतीय भाषाओं में से किसी भी भाषा में इनकी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे।

शिक्षा मंत्रालय ने इनकी राह को आसान बनाने के लिए अब उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जाने वाले सभी अंडर ग्रेजुएट (यूजी) व पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) कोर्सों की प्रमुख पुस्तकों को 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर डिजिटल रूप से मुहैया कराने का फैसला लिया है। जिसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है।

साथ ही पहले चरण में अनुवाद की जाने वाले कोर्सों व पुस्तकों की मैपिंग का काम भी पूरा कर लिया है। शिक्षा मंत्रालय ने यह मुहिम भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना के तहत शुरू की है। इसका उद्देश्य अगले तीन वर्ष में विश्वविद्यालयों सहित देश भर उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जा रहे कोर्सों की पुस्तकों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर डिजिटल तरीके से मुहैया कराना है।

60 हजार कोर्स किए गए चिन्हित

मंत्रालय के मुताबिक इस परियोजना के तहत अब तक करीब चार सौ प्रोग्राम से जुड़े 60 हजार कोर्सों की ढाई लाख पुस्तकों को चिन्हित किया गया है। इसकी शुरूआत सबसे पहले उन कोर्सों और भाषा में किया जाएगा, जिनकी मांग राज्यों की ओर से पहले आएगी।

यानी यदि मणिपुर से किसी कोर्स की पुस्तकों को पहले मणिपुरी भाषा में अनुवाद कराने का अनुरोध आता है तो पहले उस कोर्स का मणिपुरी भाषा में अनुवाद किया जाएगा। बाद में उसका अनुवाद दूसरी भारतीय भाषाओं में होगा।

मंत्रालय के मुताबिक इस पहल से अंग्रेजी भाषा में कमजोर होने के बाद भी छात्र अपने पसंद के कोर्सों की पढ़ाई अपनी भाषा में कर सकेंगे। इस अनुवाद में तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दों में बदलाव नहीं किया जाएगा।

अब सभी भाषा के छात्रों को मिलेगा फायदा

इसके तहत पहले चरण में सभी कोर्सों की प्रमुख दो से तीन पुस्तकों का ही अनुवाद किया जाएगा। पुस्तकों के अनुवाद किए हुए डिजिटल संस्करण को सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ साझा किया जाएगा, जो छात्रों की जरूरत के आधार पर भविष्य में इसे प्रिंट भी करा सकती है।

मंत्रालय से जुडे़ वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अब तक दूर- दराज व ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े बड़ी संख्या में छात्र इसलिए भी अपने पसंद के कई कोर्सों में दाखिला नहीं ले पाते थे क्योंकि उनकी पुस्तकें सिर्फ अंग्रेजी में ही उपलब्ध थी, जबकि वे दूसरी भारतीय भाषाओं में पढ़ कर आते थे।

इन 22 भारतीय भाषाओं में होगा अनुवाद

शिक्षा मंत्रालय ने यूजी और पीजी कोर्सों से जुड़ी पाठ्यपुस्तकों को जिन 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कराने का फैसला लिया है, उनमें हिंदी, तमिल, कन्नड़,असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती,कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उडि़या, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तेलुगु, और उर्दू शामिल है।

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