सियासत में उबाल

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एस. एन. वर्मा

राहुल गांधी को लोक सभा की सदस्यता से आयोग्य ठहराये जाने के बाद प्रेस कान्फ्रेन्स में कहा लोकतन्त्र पर हमला हो रहा है। यद्यपि कोर्ट के फैसले के अनुरूप कानूनी कार्यवाई हुई है यह ज़रूरत है कि 30 दिन का मौका कोर्ट ने दिया था उसका इन्तज़ार कर लिया गया होता तो बेहतर होता। त्वरित कारवाई से जो कुछ किया गया वह तो अगर कोर्ट अपील राहुल गांधी के पक्ष में फैसला देता है तो खुदबखुद निरस्त हो जायेगा। अगर लोअर कोर्ट का फैसला बरकरार रहता है तो जो हुआ वह तो होना ही था। इसमें लोकसभा सचिवालय कार्यवाई विपक्ष में भी असन्तोष पैदा कर दिया है। विपक्ष भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाये जा रहे मुहिम से पहले से ही असन्तुष्ट है इस मामले को लेकर वे राहुल के समर्थन में आ गये है। राहुल ने विपक्षी दलों के प्रति इसके लिये आभार प्रकट किया है और कह रहे है हम मिलकर लड़ेगे।
राहुल का मानना है भाजपा ने विपक्ष को ऐसा हथियार पकड़ा दिया है जो विपक्ष की एक जुटता के पक्ष में जायेगा। ममता बनर्जी कहती है भाजपा राहुल को हीरो बना नही है राहुल के अबके बयानों से लगता है उनके हीरोपन की भावना में इजाफा हो गया है। पर एक वर्ग गैर कांग्रेस गैर भाजपा मोर्चा बनाने के लिये कवायद चल रही है। इसके अलावा केन्द्रीय नेतृत्व के लेकर दो लोग बहुत महत्वाकांक्षी है। इन हालातों में विपक्ष की एकता पर संशय बना हुआ है।
राहुल गांधी कह रहे है संसद सदस्य रहे या न रहें उन्हें जेल में ही क्यों न डाल दिया जाय मै लोकतन्त्र की लड़ाई लड़ता रहूंगा। यह मेरी तपस्या है वह करता जाऊगा। राहुल गांधी महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा पर चलने की भी बात कहते है। पर यह सब तो जनता ही तय करेगी वे क्या है। यह भी कहते है मेरे अडवानी के सवाल से मोदी डर गये है उनकी आंखो उन्होंने डर देखा है मैने अडवानी के रिश्ते के बारे में पूछा तो स्पीकार से इसे हटा दिया। अडवनी के केस भटकाने लिये भाजपा मेरे खिलाफ कार्यवाई कर रही है। जबकि भाजपा कह रही है राहुल ने ओबीसी समुदाय का अपमान किया है यह मुद्दा पूरे देश में उठायेगे। आयोग्यता के केस का अडवाणी से कुछ लेना देना नहीं है।
अब अपने अपने मुहिम में कांग्रेस आगे निकलती है कि भाजपा आगे की घटनायें तय करेगी। कर्नाटक में चुनाव होने है वहां के नतीजे जिसके पक्ष में जायेगा उसे अतिरिक्त खुराक मिलेगी। विपक्षी एकता पर दो फांक नजर आ रहा है। एक पक्ष गैर कांग्रेस तो एक पक्ष गैर भाजपा मोर्चा बनाने की बात कर रहा है। पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट 14 विपक्षी दलों द्वारा केन्द्र पर कानूनी संस्थाओं का दुरूपयोग करने के आरोप पर अपना फैसला देगी। अगर फैसला विपक्ष के पक्ष में जाता है। तो भाजपा के लिये झटका होगा। राहुल भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू करने जा रहे है उसकी प्रतिक्रिया जनता से कैसा मिलती है। ये सब बातें जिसके पक्ष में जायेगी उससे आगे की दिशा तय होगी।
रविशंकर प्रसाद ने कर्नाटक चुनाव को लेकर कहा राहुल गांधी ने इस मुद्दे को भुनाने के लिये अपने बचाव में वकीलों को नहीं लगाया। यह भी याद दिलाया कि राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट के सामने मानहानि के मामले में मांफी मगनी पडी थी कोर्ट ने चेतावनी देकर छोड़ दिया था। अभी भी राहुल गांधी मानहानि के सात अन्य मुकदमों का सामना कर रहे है। 2024 का आसन्न चुनाव दोनो पक्षों को शान्त नही रहने देगा। दोनो अपने तरकस के तीर तब तक चलाते रहेगे। कांग्रेस इस समय प्रदर्शनो में व्यस्त है। आगे इसे बढ़ाने के लिये तैयारी कर रही है। भाजपा होने वाले चुनावों के प्रबन्धन में ध्यान दे रही है। भाजपा की चुनाव प्रबन्धन अनूठा होता है। कांग्रेस और विपक्ष विरोध प्रदर्शन और विपक्ष का मोर्चा बनाने में अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ लगी हुई है। विपक्ष अपनी महत्वाकाक्षां के जाल में फंसा हुआ है। सिलसिले में उबाल जोरो पर है। विपक्ष में इस समय कुछ उत्साह दिख रहा है।

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