अवधनामा संवाददाता
प्रयागराज (PrayagraJ)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट की एक वर्चुअल बैठक आज गुरुवार को दरियाबाद में वरिष्ठ शिक्षक अहमद अब्बास अस्करी की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिसमें उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा बिना वार्षिक परीक्षा कराए सभी 29 लाख से अधिक हाईस्कूल परीक्षार्थियों को अगली कक्षा में प्रोन्नत किए जाने से उत्पन्न शैक्षिक परिस्थितियों पर विचार-विमर्श किया गया।
वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं लेखक हाजी सैयद अजादार हुसैन नकवी ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए यूपी सरकार के बिना परीक्षा प्रोन्नति के आदेश पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से जहां एक ओर परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों ने चैन की सांस ली है वहीं दूसरी ओर शिक्षक वर्ग एवं कालेज प्रशासन निराश है। पहली अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच आन लाइन परीक्षा फार्म भरने के बाद कितने परीक्षार्थियों ने मौत को गले लगाया या व विदेश चले गए, इसका कोई आकडा सम्बन्धित कालेज या बोर्ड के पास नहीं है। ऐसे छात्रों की प्रोन्नति हो गई तो बोर्ड क्या जवाब देगा। स्वयं पास 29 लाख में से लगभग एक चौथाई छात्र विषम आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ सकते हैं, ऐसे में कक्षा ग्यारह में प्रवेश अपने न्यूनतम स्तर पर आ जाएगा। छात्रों के मन में परीक्षा का डर होता है, यदि यह डर निकल गया तो दुनिया में कोई ताकत नहीं है जो छात्रों को परोक्ष, प्रत्यक्ष या आन लाइन क्लास की ओर आकर्षित कर सके। दरअसल यू पी बोर्ड ने परीक्षा शुल्क के रूप में कई हजार करोड़ रुपए प्राप्त किए हैं। परीक्षा न होने से बोर्ड का अधिकांश खर्च बच गया है। बोर्ड को हालात सुधरने का कुछ समय और इन्तजार करना चाहिए था। बोर्ड का वर्तमान निर्णय जल्दबाजी में उठाया गया कदम है, जिसके दूरगामी परिणाम अगले दो तीन वर्षों तक लगातार दिखाई देते रहेंगे।
बैठक का संचालन डा. मार्डन घोष कालेज के शिक्षक हैदर आब्दी ने किया। अनेक विद्यालयों से जुड़े शिक्षकों ने सेमिनार में भाग लिया। इस अवसर पर पूर्व प्रधानाचार्य जफर अब्बास ने कहा कि पिछला शैक्षिक सत्र विषम परिस्थितियों वाला रहा। यू.पी. बोर्ड के सामने तमाम विकल्पों में से यही सबसे अच्छा तरीका था कि बिना वार्षिक परीक्षा कराए सभी को कक्षोन्नति दे दी जाए। शिक्षक श्रीराम सिंह ने प्रोन्नति को छात्रों के साथ खिलवाड़ बताया।
भौतिक विज्ञान के शिक्षक औसाफ हैदर ने कहा कि प्रैक्टिकल न होने से छात्रों के वैज्ञानिक एप्रोच पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। गणित शिक्षक हैदर आब्दी ने कहा कि जिन छात्रों की जड़ें कमजोर हैं, वे बोर्ड के इस आदेश से जीवनपर्यंत पनप नहीं पाएंगे। अध्यक्षता कर रहे अहमद अब्बास अस्करी ने कहा कि वह अपने 22 बरस के शैक्षिक अनुभव के आधार पर यह कह सकते हैं कि ग्रामीण व कम पढ़े लिखे गार्जियन जहां इस सरकारी आदेश का स्वागत करेंगे तो जागरूक मां बाप को बच्चों की शिक्षा पटरी पर लाने के लिए स्वयं और अधिक मेहनत तथा खर्च करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
वर्चुअल बैठक में शिक्षकगण मुकेश कुमार मिश्र, समन जहरा, रफत नकवी, मोहम्मद बाकर, मोहम्मद आलम चांद, शमीम अख्तर सहित अनेक लोग जुड़े रहे।