एस.एन.वर्मा
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73 साल को इतिहास में पहली बार भारतीय बैडमिन्टन टीम ने थामस कप खिताब जीत कर चौदह बार की चैम्पियन इन्डोनेशिया का हरा कर दुनियां के खेल प्रेमियों को आश्चर्य चकित कर दिया। इस धमाके की धमक बहुत दिनों तक सुनी जाती रहेगी। इसे बैडमिन्टन का वर्ल्ड कप कहा जाता है। बैडमिन्टन के अमर खिलाड़ी ब्रिटिश के सरजार्ज एलेन थामस के नाम पर यह चैम्पियनशिप खेला जाता है। इसका आग्राज 1949 से हुआ। हर दो साल में आयोजित होने वाले इस टूर्नामेन्ट में दुनियां टाप 16 टीमें भाग लेती है। इस मैच से पहले इन्डोनेशिया 14 बार, चीन दस बार मलेशिया पांच बार डेनमार्क एक बार और जापान, एक बार, खिताब जीत चुके है। इस मैच में भारत ने पहली बार इस खिताब को जीता है।
इस जीत के स्क्रिप्त राइटर निम्न लोग निम्न प्रकार से रहे। भारतीय टीम जब फाइनल खेलने उतरी तो तो किसी को विश्वास नहीं था कि भारतीय टीम चौदह बार की चैम्पियन इन्डोनिया को हरा पायेगी। मैच शुरू हुआ लक्षसेन ने दुनियां के पाचवें नम्बर के खिलाडी सिनिसुका के खिलाफ पहला गेम 8-21 से हार गये। भारत की हार नजर आ रही थी। पर इसके बाद लक्ष्यसेन ने अप्रत्याशित वापसी की और अगले दो गेम 2-17, 2-16 से सिनसुका को हरा दिया। इस तरह भारत के जीत की भूमिका लिखी गयी। इसके बाद डबल मुकाबले की बारी आयी। सालिग और चिराग ने देश की शीर्ष डबल्स जोडी ने अहसन औ़र केबिन तथा संजय और सुकामुल्जो की जोड़ी के खिलाफ चार मैच प्वाइन्ट बचाये और 18-21, 23-21, 21-19, से जीत हासिल कर खिताब की उम्मीद जगा। भारतीय खेमा जोश से लबरेज़ हो उठा। हडल बनाकर रह रह कर जोश भर रहे थे। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रहे थे।
अब सारा दारोमदार पूर्व वर्ल्ड नम्बर एक जो भारत के टाप शटलर है किदाम्बी श्रीकान्त पर आ गया। भारतीय खेमे की निगाहें श्रीकान्त पर आटिकी। एशियाई खेलों के गोल्ड मेडल विजेता जोनाथन क्रिस्टी से उनका मुकाबला था। पर बिना किसी दबाव के उनके खिलाफ खेलते रहे और सीधे गेम में 21-15 और 23-21 से हराकर खिताब भारत की झोली में ट्राफी के रूप में डाल दिया। श्रीकान्त ने 48 मिनट में यह करिश्मा कर दिखाया। भारतीय खेमा खुशी से झूम उठा जीत के बाद सरकार और बैडमिन्टन संघ ने सभी खिलाड़ियों एक एक करोड़ देने घोषणा कर दी।
यह कहना गलत नहीं होगा कि जबसे भाजपा सरकार आई तबसे उत्तरोत्तर हमारे खिलड़ियों और एथलीटो में काफी सुधार आया है। उनके विद्या की गुणवता हर दिन बढ़ रही है। यहां तक की दिव्यांग तक खेल की दुनियां में नये रिकार्ड स्थापित कर रहे है। बराबर मेडल और कप जीत रहे है। खेल की दुनियां में चर्चित भी होते रहते है। पहले तो क्रिकेट और हाकी की ही चर्चा होती थी। क्रिकेट सबसे पहली पसन्द होती थी। इसमें पैसा की काफी था। पर अब स्थिति बदल रही है। भारतीय खेल के लिये यह शुभ है। भारत की पुरूष और महिला टीम बिना किसी शोर शराबे के थामस और उबेर कप में भाग लेने के लिये बैकाक पहुंची। इसमें पहले भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा इसलिये सभी यह सोच रहे थे यह तो खानापूर्ति है। उबरे कप में तो महिला टीम को ब्रान्ज मिल चुका है लेकिन थामस कप में सेमी फाइनल तक पहंुचना भी एक सपना रहा है। थामस कप में भारतीयों के पिछले प्रदर्शन को देखते हुये उनसे किसी मेडल की उम्मीद करना बेमानी लग रहा था।
पर इस बर श्रीकान्त, प्रणाय, लक्ष्य, सात्विक, चिरागं की बाडी लैग्वेज कुछ अलग ही कहानी कह रही थी। पहली बात तो खिलाड़ियों के बीच टयूनिंग शानदार रही। स्टेडियम में सभी एक दूसरे के लिये शोर मचा रहे थे जोश भर रहे थे। लग रहा था इस बार कुछ कर के ही हटेगे। हर मुकाबले के पहले हर्डल बनाकर एक दूसरे को प्रोत्साहित कर रहे थे। हर्डल के दौरान पूरे स्टेडियम में शोर ही शोर था हाउइजद जोश हाईसर खिलाड़ियों पर इस सकारात्मक शेर भरे जोश का असर हुआ और नतीजा जीत के रूप में सामने आया। वास्तव में भारत की इस उपलब्धि पर दुनियां चकित है भारत सुखद आश्चर्य से लबरेज है। भारत में इस समय जहां प्रधानमंत्री ने कहा भारतीय बैडमिन्टन टीम ने इतिहास रच दिया। भारत के थामस कप जीतने से पूरा देश खुश है। हमारी सफल टीम को बधाई और भविष्य के टूनेन्ट के लिये शुभकामनायें। यह जीत कई उभरते खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी। बैडमिन्टन टीम के अध्यक्ष ने कहा भारतीय बैडमिन्टन टीम के लिये गर्व का क्षण है। हमने कई व्यक्तिगत जीत हासिल की है लेकिन थामस कप का ताज जीतना बहुत खास है। पूर्व क्रिकेट सचिन तेन्दुलकर ने भी कहा यह ऐतिहासिक पल है पूरी टीम को बधाई। अवधनामा परिवार की ओर से भी बधाई और शुभकामनाये।