पानी का काला कारोबार, अवैध भूजल दोहन से सूख रही धरती की कोख

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नमामि गंगा योजना को पलीता लगाते अवैध वाटर प्लांट

ललितपुर। जल ही जीवन है, लेकिन अब लोगों को जीवन देने वाला जल व्यापार में बदल गया है। बात व्यापार में बदलने तक ही सीमित नहीं रही। अब इसका धंधा करने वाले लोग रुपया कमाने के लालच में इस कदर अंधे हो गए हैं कि वह लोगों को पानी के नाम पर बीमारियां बांट रहे हैं। डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार ललितपुर सहित पूरा भारत गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है, जहां सिंचाई के लिए भूजल का दोहन बढ़ रहा है, पानी की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है और पानी की कमी से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं।

ललितपुर में नलों से गंदा पानी आना व खारेपन की समस्या कुछ लोगों के लिए वरदान बन गई है। सीधे सबमर्सीबल से निकाले जाने वाले जल का खारापन दूर करने के लिए इस धंधे में उतरे लोग पानी ठण्डा करके आर.ओ. का नाम देकर खुलेआम बेच रहे हैं और शहर की जनता के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। जल निगम और  जल संस्थान विभाग अभी तक अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छ जल मुहैया नहीं करा पाया है। यही वजह है कि जिले में करीब सैकड़ों व्यापारी गली-मोहल्लों में आर.ओ. प्लांट के नाम पर प्रतिदिन अवैध रूप से लाखों लीटर भूजल दोहन कर रहे हैं, जो घर-घर और दफ्तर व समारोह में बोतल और कंटेनर से मनमाने दामों में शुद्ध जल के नाम पर मानकों के विपरीत जलापूर्ति कर रहे हैं।

जिले में शहरी क्षेत्र में अनेकों अवैध आर.ओ. प्लांट गली-मोहल्लों में संचालित हो रहे हैं। शहर के विभिन्न वार्डों के कई मोहल्लों के अलावा नगर पालिका सीमा से बाहर अनेकों आरओ प्लांट संचालित हो रहे हैं। कमाल की बात किसी एक आर.ओ. प्लांट के पास भूगर्भ जल विभाग के अलावा अन्य सम्बन्धित विभागों की ओर से न कोई एनओसी है न लाइसेंस। शहरी क्षेत्र के गली-मोहल्लों में आर.ओ.प्लांट लगाकर पानी जांच कराए बिना 20-20 लीटर के कंटेनरों और 200 से 500 लीटर के टैंकों में भरकर सप्लाई की जा रही है। भूजल दोहन पर प्रतिबंध के बावजूद रोजाना लाखों लीटर से अधिक अवैध रूप से भूजल का दोहन किया जा रहा है। रोक के बावजूद जगह-जगह सबमर्सिबल लगे हैं, जिससे दिनों दिन धरती की कोख सूख रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिवर्ष भूगर्भ से पानी का स्तर नीचे जा रहे जल स्रोत एक चिंता का विषय है। नीति आयोग की समग्र जल प्रबंधन सूचकांक

(सीडब्ल्यूएमआई) रिपोर्ट में जल संकट की गंभीरता पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 21 प्रमुख शहरों में भूजल स्तर शून्य तक पहुंचने का खतरा है।

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