नई दिल्ली। भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए सोमवार से दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में दो दिवसीय बैठक शुरू हुई। देशभर के भाजपा नेताओं को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि बॉर्डर के गांवों में रहने वालों से सीधा संपर्क बनाना है। उन गांवों को ऐसे स्थानों के रूप में डेवलप किया जाए, जहां टूरिस्ट आएं।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बताया कि बैठक में आगामी राज्य चुनावों पर भी चर्चा होगी। पार्टी नेता बूथों पर अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं। राष्ट्रीय पदाधिकारियों के अलावा भाजपा की राज्य इकाइयों के अध्यक्ष और महासचिव (संगठन) भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की बैठक का हिस्सा हैं।
दुनियाभर में हो रही भारत की प्रशंसा
बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए। मोदी ने कहा कि यूक्रेन जंग और कोविड महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों के बीच देश आर्थिक रूप से उभरकर आया है। इसकी दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है।
उन्होंने वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम की भी सराहना की, जो दोनों स्थानों के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों का जश्न मना रहा है। उन्होंने कहा कि स्नेह मिलन एक विचार है जो उन्होंने पहली बार हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान व्यक्त किया था। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जैसा कि वाराणसी के प्राचीन नाम काशी में हमेशा देखा जाता है।
राज्य विधानसभा चुनावों के अगले दौर की तैयारियां
पार्टी की आगे की रणनीति, राज्य विधानसभा चुनावों के अगले दौर की तैयारियों पर बैठक में चर्चा की जाएगी। पार्टी की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों सहित नेताओं के कई समूहों को भी शामिल किया गया है, खासकर उन जगहों पर जहां पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में हार गई थी। वह 2024 में जीत पर नजर गड़ाए हुए हैं। वहीं त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ के अलावा कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित कुछ चुनावी महत्वपूर्ण राज्यों में लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं।
2018 के चुनावों में भाजपा से छिन गए थे तीनों राज्य
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भाजपा की सरकार चली गई थी। तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी। राजस्थान में अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और मध्य प्रदेश में कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे।
हालांकि, मध्य प्रदेश में 15 महीने सरकार में रहने के बाद कमलनाथ की गद्दी चली गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के करीब दो दर्जन विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा की सरकार बन गई थी।