उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में डिजिटल उपस्थिति के नियम के लागू करने के बाद शिक्षक नहीं मान रहे हैं। शिक्षक अपने मांगों को लेकर संगठनों के माध्यम से बातचीत करना चाहते है। इसमें डिजिटल उपस्थिति के विरोध में भाजपा के सहयोगी शिक्षक संगठनों का भी विरोधी सुन ही है।
उत्तर प्रदेश में डिजिटल उपस्थिति के विरोध में भाजपा समर्थित राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने सबसे पहले विरोध दर्ज कराया। महासंघ के पदाधिकारियों ने बैठक पहली बार मांग बनाया और उसके पूरा नहीं होने तक डिजिटल उपस्थिति के पालन ना करने की घोषणा की। इसके बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ मुखर हो गया। अभी तक सरकार के सभी निर्णयों का स्वागत करने वाला शिक्षक संघ डिजिटल उपस्थिति का विरोध करने लगा। उसके पदाधिकारियों की ओर से प्रदेश स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन देने और 23 जुलाई को प्रदेश व्यापी प्रदर्शन करने की योजना बना दी गयी।
उत्तर प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र में बनाये गये शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने पहली बैठक मेरठ में की और इसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से शिक्षकों की मांगों को संयुक्त रुप से मुख्यमंत्री को भेजने की तैयारी की। इसमें शिक्षामित्रों के मांगों को भी वरीयता दी गयी है।
वैसे भाजपा व सरकार के तमाम महत्वपूर्ण फैसलों पर ये सभी संगठन एकजुट रहते रहे हैं। फिर भी डिजिटल उपस्थिति पर संगठनों का विरोधी सुर है और इनके वरिष्ठ पदाधिकारी चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले एक बार मुख्यमंत्री तक अपनी बात रखने को मिले। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के कुछ चयनित पदाधिकारी इस वार्ता में शामिल हो।