भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर फिजूलखर्ची को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। भाजपा का कहने है कि विधानसभा की तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में हिमाचल के खजाने पर 35 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और इसके लिए सीएम सुक्खू जिम्मेवार हैं।
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता एवं सुंदरनगर से विधायक राकेश जम्वाल ने बुधवार को कहा कि जब से सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी है, लगातार प्रदेश के खजाने पर फिजूल का बोझ डाल रही है जिसके कारण प्रदेश का धन बर्बाद हो रहा है और विकास बाधित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि तीन आजाद विधायकों ने अपने पद से 22 मार्च, 2024 को इस्तीफा दिया और माननीय विधान सभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वे इस्तीफे को मंजूर करें। 22 मार्च से लेकर 3 जून तक यह त्याग पत्र मंजूर नहीं किए गए और 2 जून को लोकसभा व विधान सभा के उपचुनाव सम्पन्न हुए और 3 जून को तीन विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए गए। काश यह इस्तीफे 30 अप्रैल से पूर्व स्वीकार कर लिए जाते तो यह तीनों उपचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ सम्पन्न हो जाते परन्तु कांग्रेस की सुखविन्द्र सरकार ने केवल अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए इन त्यागपत्रों को लटकाकर रखा। अब विचारणयी प्रश्न यह है कि यह तीन इस्तीफे स्वीकार हो गए और 6 माह के भीतर-भीतर यह 3 उपचुनाव होंगे और प्रत्येक चुनाव में कम से कम 10-12 करोड़ रू0 सरकारी खर्चा आएगा अर्थात 35-36 करोड़ रू0 का बोझ हिमाचल के खजाने पर पड़ेगा।
भाजपा ने आरोप लगाया कि यह जो 35 करोड़ रुपये का खर्च होगा इसकी पूरी जिम्मेवारी मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के उपर आती है। उन्होनें ही अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए यह खेल खेला है। प्रदेश के खजाने पर अनचाहा बोझ डालने के लिए मुख्यमंत्री की निंदा की जाती है। इससे पहले भी अपने दोस्तो को मित्रों को लाभ देने के लिए अनेक-अनेक कैबिनेट के दर्जे बांटे गए, गैर कानूनी तौर पर 6-6 मुख्य संसदीय सचिव लगाए गए जिसका प्रदेश सरकार का करोडों-करोड़ रुपये का व्यय हो रहा है।