होमियोपैथा के जनक डॉ सैमुअल का मनाया गया जन्मदिन

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अवधनामा संवाददाता

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कुशीनगर। पडरौना के एक निजी होटल में होम्योपैथिक के जनक महात्मा डॉक्टर सैमुअल हैनिमैन का जन्मदिन मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता डॉ धनंजय कुमार मिश्र ने किया। मुख्य अतिथि के रुप में डॉक्टर सुभाष यादव पहुंचे थे जबकि संचालन डॉ अभ्युदय मौर्य ने किया।

अध्यक्षता कर रहे डॉ मिश्रा ने बताया कि “मैं तो अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया”। उन्होंने बताया कि आज विश्व की दूसरी प्रसिद्ध लोकप्रिय चिकित्सा पद्धति होमियोपैथिक जो प्रथम मानव परीक्षित चिकित्सा विद्या है। इसके जनक डॉक्टर शेम्मुल हैनिमैन का जन्म जर्मनी के सेक्सनी प्रदेश के छोटे से ग्राम माइसेन में 10 अप्रैल 1755 को हुआ था। 89 वर्ष की उम्र में अच्छी कीर्ति स्थापित करके अपने नाम एवं विद्या को अमर कर गए। आज कौन कह सकता है कि डॉ हैनिमैन इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि “कीर्तियस्य जीविते” महात्मा अकेले आते हैं और अपने स्वरुप को कीर्ति रूप में असंख्य लोगों में छोड़ जाते हैं। भारत के लिए तो ये चिकित्सा पद्धति वरदान स्वरुप है। शुरू में कुछ अल्प ज्ञानियों ने इसके प्रति भ्रम फैलाकर इसे काफी नुकसान पहुंचाने एवं जन जन तक पहुंचाने में इसको बाधित करने का कार्य किया, परंतु सत्य सेवा भावना यथार्थ सूर्य के प्रकाश के समान होती है। इन्हें कुछ देर ढका जा सकता है लेकिन रोका नहीं जा सकता। वैसे ही चिकित्सा पद्धति रुकी नहीं। दिन प्रतिदिन इसका प्रकाश फैलता ही जा रहा है ।सिर्फ शोकाल्ड, सर्जिकल डिजीज में ही नहीं असाध्य रोगों में भी प्रतिषेधक औषधि चिकित्सा में भी इसका योगदान अमृत के समान रहा। पहले भी जब प्लेग, हैजा, चेचक जैसी महामारी फैली थी तब भी होम्योपैथी ने अपनी दिव्य औषधियों परिश्रमी चिकित्सकों के बल पर अपना वर्चस्व दिखाया था और आज भी जब कोवीड-19 से पूरा विश्व, पूरा भारत भयाक्रांत था पूरा विश्व स्तब्ध था कि इस महामारी से कैसे बचाएं तब भी होमियोपैथी औषधियों एवं चिकित्सकों ने अपना महत्व दिखाया और एक ब्रह्मास्त्र के रूप में मानव जाति को बचाया। आज यदि भारत में होमियोपैथ नहीं होती समर्पित डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सेवा कर्मी नहीं होते तो शायद भारत की स्थिति इटली एवं अमेरिका जैसे देशों से भी बदतर होती। हम तो कहते हैं कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर ए जमाना हमारा तभी तो है सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हारेगा हर रोग जब तक साथ रहेगा होमियोपैथ।

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