जिले के मुस्करा विकासखंड के गैहरौली ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले में फर्जी डिमांड, जॉब कार्ड में हेराफेरी, और जियो टैग फोटो के साथ छेड़छाड़ जैसे गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जिससे शासन को लाखों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है।फर्जी डिमांड और जियो टैग में हेराफेरी जांच में पता चला है कि गैहरौली ग्राम पंचायत में पक्का नाला निर्माण के नाम पर 417 फर्जी डिमांड लगाई गई हैं। इन डिमांड्स को जायज दिखाने के लिए जियो टैग लोकेशन में फोटो काटकर और फर्जी तरीके से अपलोड की जा रही हैं।
यह फर्जीवाड़ा न केवल गैहरौली ग्राम पंचायत तक सीमित है, बल्कि पूरे मुस्करा विकासखंड की अन्य ग्राम पंचायतों में भी इस तरह का खेल चल रहा है।जॉब कार्ड में धांधली, कमीशन का खेल मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड धारकों की फर्जी हाजिरी लगाकर भुगतान निकाला जा रहा है। ग्राम प्रधान, सचिव, और ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) की मिलीभगत से यह घोटाला संचालित हो रहा है। आरोप है कि इस फर्जीवाड़े में कमीशन का बड़ा खेल खेला जा रहा है, जिसमें ग्राम पंचायत स्तर से लेकर विकासखंड स्तर तक के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि योजना का लाभ वास्तविक मजदूरों तक नहीं पहुंच रहा, बल्कि चहेतों के खातों में फर्जी तरीके से राशि हस्तांतरित की जा रही है।
शासन की मंशा पर पानी फेर रहे जिम्मेदार मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे का विकास करना है, लेकिन मुस्करा विकासखंड में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने इस योजना को पलीता लगा दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को इस घोटाले की जानकारी होने के बावजूद वे अनजान बने हुए हैं। जांच के नाम पर केवल लीपापोती की जा रही है, और दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।जांच की मांग, लेकिन कार्रवाई पर सवाल गैहरौली ग्राम पंचायत के इस घोटाले ने पूरे विकासखंड में हड़कंप मचा दिया है।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, पूर्व में भी इस तरह के मामलों में जांच तो शुरू होती है, लेकिन परिणाम अक्सर निराशाजनक रहते हैं। सवाल यह उठता है कि जब जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी ही इस घोटाले में शामिल हैं, तो आखिर दोषी कौन है?पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले हमीरपुर जिले में मनरेगा घोटाले कोई नई बात नहीं है। पहले भी खंडेह ग्राम पंचायत में मृत लोगों के नाम पर जॉब कार्ड बनाकर राशि निकालने का मामला सामने आ चुका है, जहां करीब 2.2 करोड़ रुपये के गबन का खुलासा हुआ था।
उस समय मुख्य विकास अधिकारी ने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन कार्रवाई का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया।ग्रामीणों की मांग और भविष्य ग्रामीणों ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई है। साथ ही, यह भी मांग उठ रही है कि मनरेगा योजना के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जियो टैगिंग और मस्टर रोल की प्रक्रिया को और सख्त किया जाए। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लागू नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) के बावजूद इस तरह के फर्जीवाड़े ने सिस्टम की खामियों को उजागर कर दिया है।
मुस्करा विकासखंड के गैहरौली ग्राम पंचायत में मनरेगा घोटाला एक बार फिर जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाता है। यह घोटाला न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग है, बल्कि गरीब मजदूरों के हक को छीनने का भी अपराध है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और शासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं, और क्या वाकई दोषियों को सजा मिल पाएगी, या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।हमीरपुर से संवाददाता की रिपोर्ट