भागवत कथा भक्ति और ज्ञान का भंडार है– स्वामी बृजेशचार्य

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सुल्तानपुर।  ध्रुव नारायण दुबे  श्रीमती  निर्मला दुबे के विवेक नगर स्थित आवास पर आयोजित सात  दिवसीय श्रीमदभागवत कथा सप्ताह   ज्ञान यज्ञ  के तीसरे  दिन कथा  व्यास बृजेशाचार्य   ने कहा कि हमारे यहां पत्नी नहीं धर्म पत्नी होती है जो धर्म की रक्षा करती हैं देवी आपकी भक्ति से हम सन्तुष्ट हैं आज कल बेटियों से लोग घबराते है बेटियां नहीं होगी तो आने वाले समय में कोई रहेगा ही नहीं नव रात्रि में मां के नव रूपों की पूजा होती है अज्ञानता के बीज को समाप्त कर दो एक मां अपने बेटे से कहती है भागवत कथा भक्ति ज्ञान का भण्डार है  संत कभी किसी का विरोध नहीं करते  भगवान की आराधना को खूब करता है लेकिन भगवान से कभी कुछ मांगता नहीं कहते हैं  कथा में प्रियतम आत्मयों को इतना प्यार है कि हमारे आत्मा योगी हमारे द्वारा उत्पन्न ब्रह्मा जी भी हमको इतने प्यार नहीं है आत्मा हमारा अपना खुद का शरीर भी इतना हमको प्यार नहीं है  जितना भगवान से है भगवान के द्वारा ही अपने भक्तों की बड़ी महिमा गाई गई ऐसी भगवान के स्थान प्राप्त होते हैं निरपेक्षता निर्भय राम कभी किसी से कोई अपेक्षा नहीं करते हैं तो जल्दी से स्वीकार नहीं करते भगवान  की भक्ति व्यापार नहीं है   भाव था कि भगवान दोबारा आएंगे तो हमें दुबारा भगवान का दर्शन होगा  भौतिक सुख संपत्ति मिलेगी जहां जितनी संपन्नता है भौतिकवाद है आत्महत्या की घटनाएं होती है क्योंकि भारत में यहां धर्म को मानने वाले लोग हैं बड़ी-बड़ी कठिनाइयों से लोग सामना करते हैं  जल्दी आत्म हत्या नहीं करते गोविंद भगवान की जय  भारत भूमि भगवान का हृदय है अमेरिका के किताबों में जिस समय स्वामी विवेकानंद जी गए भगवा वस्त्र धारी को बोलने का अवसर नहीं मिल रहा है लेकिन जब बोलना शुरू किए तो सब मंतमुग्थ हो गए भारत का आदर्श विश्व में प्रसिद्ध है धर्म सनातन ही है  भक्ति हमेशा होनी चाहिए  भक्त भगवान से कहता है कि मेरे पास इतना धन नहीं है कि  आपके लिए एक मंदिर बनवा दूं और आपके शिवलिंग की स्थापना के रूप में आप हमारे अंदर विराजमान आत्मा तुम बन  जाओ बुद्धि है   सुबह से शाम तक जो हम पूरी कचौड़ी रसमलाई करते हैं वहीं  नैवेद्य हो भगवान स्वीकार करें मानस पूजा करने  का भी विधान है  भगवान स्वीकार करें भगवान श्रीमद् भागवत कथा में सैकड़ो लोगों की उपस्थिति रही।

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