होके मायूस तेरे दर से सवाली न गया, झोलियां भर गयी सबकी कोई खाली न गया…

0
207

फ़िल्म लैला मजनू की कव्वाली ‘होके मायूस तेरे दर से सवाली न गया, झोलियां भर गयी सबकी कोई खाली न गया…’ नगर के प्रसिद्ध जंगली देवी मन्दिर के लिए यह लाइनें एकदम मुफीद बैठती हैं, क्योंकि उस दर में जिस किसी भक्त ने उनसे वरदान मांगा उसे कभी भी निराशा का सामना नहीं करना पड़ा। माता का आशीर्वाद भक्तों को हमेशा ही मिलता आ रहा है।

किदवई नगर स्थित जंगली देवी मन्दिर की दुर्गा माता भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र हैं। वैसे तो रोजाना ही भक्त दोनों पहर ही माता के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद लेने के लिए मन्दिर जाते हैं, लेकिन नवरात्रों के समय भक्तों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो जाती है। बतातें चलें कि जंगली देवी मन्दिर में भक्त दो मूर्तियों के दर्शन न करें तो उनकी मनोकामना पूरी नहीं होती। एक छोटी मूर्ति मन्दिर के नीचे स्थित हैं जिन्हे जाली के माध्यम से देखा जा सकता है।

गौरतलब है कि जंगल में मूर्ति मिलने के कारण माता का नाम जंगली देवी पड़ गया। मंदिर निर्माण के समय अखंड ज्योति जलाई गई जो आज भी प्रज्ज्वलित है। दर्शन मात्र से ही मां भक्तों का कल्याण करती हैं। भक्तों का मानना है कि 1970 से पहले किदवई नगर में दूर-दूर तक जंगल में एक विशालकाय नीम का पेड़ था। जब यह पेड़ खोखला हुआ तो उसमें से मां दुर्गा की प्रतिमा निकली। आसपास के लोगों ने उनकी पूजा करनी शुरू कर दी। कुछ वर्षों बाद तेज आंधी पानी से पेड़ गिर गया था। मां को खुले आसमान के नीचे देखा तो चंदा एकत्र कर मठिया का निर्माण कराया। वहीं मन्दिर निर्माण के बाद से भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी। नवरात्र पर मंदिर में शहर के अलावा दूर-दूर के जिलों से सैकड़ों लोग दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। मां ढाई क्विंटल भारी सिंहासन पर विराजमान हैं, प्रतिमा के ऊपर लगा छत्र भी चांदी का है। मंदिर में माता की मूर्ति के साथ भी एक मान्यता जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ माता के चेहरे को निहारता है। उसको मनोकामना पूरी होने का संकेत मां की मूर्ति से ही मिल जाता है।

मंदिर के मुख्य पुजारी राम नरेश द्विवेदी ने मंगलवार को बताया कि माता की प्रतिमा के सामने जो भक्त पूरी आस्था के साथ चेहरे को निहारता है तो प्रतिमा का रंग धीरे-धीरे गुलाबी होने लगता है तो समझो मनोकामना पूरी हो गई। वहीं नवरात्र में मंदिर के पास भारी मेला लगता है। सुबह से शाम तक हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ माता के दर्शन लाभ करती हैं।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here