उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी में बेगम अख्तर स्मृति कार्यक्रम  ‘ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया….. ’

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कोविड-19 गाइड लाइन के तहत वाल्मीकि रंगशाला में हुआ ‘यादें’

लखनऊ, 30 अक्टूबर। पद्म भूषण और मल्लिका ए गजल जैसे खिताबों से नवाजी गयी गायिका बेगम अख्तर की गायिका की अदा आज फिर ताजा हो गई। उनकी पुण्य तिथि पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से वाल्मीकि रंगशाला गोमतीनगर में सालाना कार्यक्रम ‘यादें’ में बनारस घराने की सुपरिचित उपशास्त्रीय गायिका सुचरिता गुप्ता के गायन का आयोजन किया गया था।
फैजाबाद से लखनऊ आकर बस गई बेगम अख्तर की आवाज के मुरीद श्रोताओं की उपस्थिति में अतिथियों के रूप में उपस्थित पूर्व मुख्य सचिव देवेन्द्र चैधरी व भारतेन्दु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रविशंकर खरे का स्वागत अकादमी के सचिव तरुण राज ने किया और मल्लिका ए गजल को पुष्पांजलि अर्पित की और कहा कि संघर्षपूर्ण और उतार-चढ़ाव वाले जीवन में उन्होंने कई तरह के काम किए, चाहे वो फिल्मों में अभिनय हो, या पाश्र्व गायन हो या उर्दू-हिंदी, अवधी और अन्य बोलियों व भाषाओं में उनकी गायी रचनाएं हों। साथ ही उन्होंने बताया कि आज ही उनकी स्मृति में अकादमी अभिलेखागार में संकलित बेगम अख्तर की रिर्कार्डिंग को यू-ट्यूब पर जारी किया गया है। डा.अलका निवेदन के संचालन में कार्यक्रम का आयोजन कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत सीमित संख्या में आमंत्रित दर्शकों के बीच हुआ, परन्तु कार्यक्रम अकादमी फेसबुक पेज पर संगीत प्रेमियों के लिए जीवंत प्रसारित हो रहा था।
बनारस घराने ठुमरी, टप्पा, होरी, कजरी, चैती आदि के गायन में सिद्धहस्त सुचरिता गुप्ता ने गायन का आगाज पूरब अंग की मिश्र पीलू राग में निबद्ध ठुमरी- मोरी बारी उमर बित जाये सैंया कइसे धीर धरूं…. से की। बेगम अख्तर के व्यक्तित्व में अपनी बात रखने के साथ पिता मृणालकान्ति दत्ता व विदुषी सविता देवी की शिष्या सुचरिता गुप्ता ने उन्हें नमन करते हुए उनकी गाई मोमिन की प्रसिद्ध रचना- वो जो हममे तुममे करार था….. को अपने सुरों से सजाया। इस दिलकश रचना के बाद बेगम की गाई और शकील बदायुंनी की रची एक और मशहूर गजल- ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया….. को पुरकशिश आवाज में पेश किया। दाग देहलवी की लिखी अगली रचना- अभी हमारी मुहब्बत किसी को क्या मालूम…… में उन्होंने सुरों से मुहब्बत के अलग रंग भरे।
सुचरिता की गाई जावेद कुरैशी की गजल- आशियाने की बात करते हो, दिल जलाने की बात करते हो….. के एक और उम्दा शेर- सारी दुनिया के रंज-ओ-गम दे कर मुस्कुराने की बात करते हो को श्रोताओं की खूब सराहना मिली। उनकी गाई दाग की अगली गजल- गले लगा है वो मस्ते शबाब बरसों में….. में अलग ही सुरूर नजर आया। कार्यक्रम के दौरान सुचरिता गुप्ता ने श्रोताओं की फरमाइश का भी ख्याल रखा। उन्होंने कार्यक्रम का समापन सुदर्शन फाकिर की लिखी राग भैरवी में बंधी बेगम अख्तर की सुप्रसिद्ध ठुमरी- हमरी अटरिया पे…. से किया। उनका साथ हारमोनियम पर अरुण अस्थाना ने और तबले पर ज्ञान स्वरूप मुखर्जी ने कुशलता से निभाया।

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