गुप्तार घाट का सौंदर्यीकरण पर्यटकों को कर रहा आकर्षित

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अवधनामा संवाददाता

योगी सरकार की नजर पौराणिक स्थल के विकास पर

अयोध्या। उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के दोबारा सत्तारूढ़ होने के बाद अयोध्या फिर से विकास पथ पर तेजी से अग्रसर है। रामनगरी से जुड़े हर ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल को सरकार ने संवारने पर पूरा ध्यान दिया है। मान्यता है कि भगवान राम ने गुप्तार घाट पर अपने शरीर को गुप्त कर लिया था। सरकार ने इस घाट को भी संवारने का बीड़ा उठाया था। पर्यटकों को आकर्षित व घाट की पौराणकिता को देखते हुए इसे नया लुक दिया जा रहा है। अयोध्या की ऐतिहासिकता और महत्ता को देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन की ओर से तेजी से विकास कार्य कराए जा रहे हैं।
गुप्तारघाट के सौंदर्यीकरण का कार्य 99 प्रतिशत पूर्ण
अयोध्या विकास प्राधिकरण के सहायक अभियंता अनिल सिंह ने बताया की गुप्तारघाट पर सौंदर्यीकरण का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। पहले चरण का 99 प्रतिशत कार्य पूरा हो जाने के बाद ही घाट की शोभा को चार चांद लग गए हैं। गुप्तारघाट पर आने वाले लोगों के वाहनों को निर्धारित पार्किंगों में पार्क कराना सुनिश्चित कराने और को पार्किंग स्थल तक वाहनों के ले जाने के लिए संकेतक लगवाने के निर्देश दिये है। गुप्तारघाट व उसके आसपास कराये जा रहे सौन्दर्यीकरण कार्यों के फेज-1 व फेज-2 का 99 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। इसके तहत 24 मीटर चौड़ा व 600 मीटर लम्बी स्मार्ट रोड और 31 दुकानों का निर्माण पूरा हो चुका है।
गुप्तार घाट का धार्मिक महत्व
सरयू नदी के तट पर स्थित गुप्तार घाट का धार्मिक महत्व हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने बैकुंठ जाने के लिए यहां जलसमाधि ली थी। मान्यता है कि इस घाट पर सरयू में डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं और उन्हें सांसारिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है। यह घाट भगवान राम नाम के मंत्रों से सदैव गूंजता रहता है। इस घाट पर राम जानकी, चरण पादुका, नरसिंह और हनुमानजी के प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। इन सुव्यवस्थित घाटों का नवनिर्माण राजा दर्शन सिंह ने 19 वीं सदी में कराया था।
सरयू नदी एक परिचय
सरयू नदी उत्तर प्रदेश में अयोध्या के निकट बहने वाली भारत की प्राचीन नदियों में एक है। ‘घाघरा’, ‘सरजू’ तथा शारदा इस नदी के अन्य नाम हैं। यह हिमालय से निकलकर उत्तरी भारत के गंगा के मैदान में बहने वाली नदी है, जो बलिया और छपरा के बीच गंगा में मिल जाती है। अपने ऊपरी भाग में, इसे ‘काली’ नदी के नाम से जाना जाता है। यह उत्तराखण्ड राज्य में भारत और नेपाल के बीच सीमा बनाती है। सरयू नदी उत्तर प्रदेश में सबसे प्रमुख जल मार्गों में से एक है।
सरयू नदी का उल्लेख प्राचीन शास्त्रों जैसे वेद और रामायण में मिलता है। यह इतनी पवित्र मानी जाती है। कि मानव जाति की अशुद्धियों को धो देती है। अयोध्या की भूमि को उपजाऊ बनाने और भगवान श्रीराम जन्म का साक्षी बनने में सरयू का योगदान है। अयोध्या नगरी में सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्तार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पाप मोचन घाट, लक्ष्मण घाट, ऋणमोचन घाट, शिवाला घाट, जटाई घाट, अहिल्याबाई घाट, धौरहरा घाट, नया घाट और जानकी घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।

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