बाबा साहब ने दिया शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो का अद्भुत मंत्र- वसीम राईन

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अवधनामा संवाददाता

बाराबंकी। आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने बाबा साहेब डॉ आंबेडकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि सामाजिक क्रान्ति के महानायक संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का जीवन संघर्षो का महाकाव्य है। उनका सारा जीवन गैर बराबरी, जातीय भेदभाव, छूआ-छूत, अन्याय, शोषण दमन घृणा तिरस्कार ऐसी कुरीतियो से लडते बीता।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ आंबेडकर जयंती पर पसमांदा मुस्लिम महाज के सट्टी बाजार स्थित कार्यालय में आयोजित बैठक में बोल रहे थे। सबसे पहले सभी उपस्थित जनों बाबा साहब के चित्र पर फूल माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसी क्रम में वसीम राईन ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा साहब को एक राजनेता, अर्थशास्त्री, और दलितों के लिए काम करने करने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। बाबा भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 मध्यप्रदेश के महू जिले में हुआ था। इन्हें अम्बेडकर नाम इनके गुरु द्वारा दिया गया। प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही प्राइमरी स्कूल से हुयी जिसके बाद ये प्राइमरी शिक्षा के लिए मुम्बई चले गए। महार समुदाय से सम्बंधित होने के कारण इन प्रारम्भ से ही जातिवाद का सामना करना पड़ा, ऐसे में इन्होने जीवन में जातिवाद से लड़ने की ठान ली। लंदन में पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ भीमराव का पुन भारत आगमन 1923 में हुआ, जिसके पश्चात इन्होने देश में व्याप्त छुआछूत, गरीबी और नारियो के प्रति होने वाले भेदभाव के खिलाफ लड़ने की ठान ली और इसके लिए इन्होने जीवन भर संघर्ष किया। इनका मानना था की जब तक देश के दलित, वंचित और शोषित वर्ग के लोगो को बराबरी का नयन नहीं मिल जाता है तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भीमराव अम्बेडकर भारत के ऐसे पहले नेता थे जिन्होंने दलितों के प्रतिनिधी के रूप में तीनो गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया था। इनकी योग्यता और कार्यकुशलता के कारण इन्हे भारत का पहला कानून मंत्री बनाया गया जिन्होंने संविधान निर्माण के काम को बखूबी अंजाम दिया। जीवन भर दलित हितो के लिए संघर्षरत इस महान व्यक्तित्व वर्ष 1956 में निधन हो गया। आज आवस्यकता इस बात की है कि हम सभी बाबा साहेब की जयंती पर उनके विचारो को याद करे। सबसे महत्वपूर्ण है की उन्हें अपने जीवन में भी उतारे ताकि देश को आदर्श बनाने का डॉ. अम्बेडकर का सपना पूरा किया जा सके। डा0 साहब ने शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो का अद्भुत मंत्र दिया। जिसने दलित समाज के हीन ग्रन्थि को दूर करने का एहसास जगाया। समाज और देश डा0 अम्बेडकर के क्रान्तिकारी विचारो और युग दृष्टि का सदैव ऋिणी रहेगा।
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