देश के सबसे लंबे चले मुकदमे यानी अयोध्या विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है.
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.” कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.
अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई थी.
कोर्ट रूम में क्या हुआ?
कोर्ट की कार्यवाही शुरू होते ही सबसे पहले केस नंबर 1501, शिया बनाम सुन्नी वक्फ बोर्ड कैस में एक मत से फैसला आया. इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया. कोर्ट ने 1946 का फैसला बरकरार रखा. इसके बाद के नंबर 1502 अयोध्या मामले में एक मत से फैसला आया. सबसे पहले चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ना शुरू किया. सीजेआई ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ”कोर्ट को देखना है कि एक व्यक्ति की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने. मस्ज़िद 1528 की बनी बताई जाती है लेकिन कब बनी इससे फर्क नहीं पड़ता. 22-23 दिसंबर को मूर्ति रखी गयी, जगह नजूल की ज़मीन है. लेकिन राज्य सरकार हाई कोर्ट में कह चुकी है कि वह ज़मीन पर दावा नहीं करना चाहती.”
The calm and peace maintained by 130 crore Indians in the run-up to today’s verdict manifests India’s inherent commitment to peaceful coexistence.
May this very spirit of unity and togetherness power the development trajectory of our nation. May every Indian be empowered.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2019
कोर्ट ने कहा, ”कोर्ट हदीस की व्याख्या नहीं कर सकता. नमाज पढ़ने की जगह को मस्ज़िद मानने के हक को हम मना नहीं कर सकते. 1991 का प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट धर्मस्थानों को बचाने की बात कहता है. यह एक्ट भारत की धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है.” सीजेआई ने कहा, ”सूट न. 1(विशारद) ने अपने साथ दूसरे हिंदुओं के भी हक़ का हवाला दिया. सूट 3 (निर्मोही) सेवा का हक मांग रहा है, कब्ज़ा नहीं।”
The court acknowledged the mosque’s demolition in 1992 was “an egregious violation of the rule of law”. Yet, the forces responsible for the demolition now find themselves in legal possession of the land. | @svaradarajan writes. #AYODHYAVERDICT https://t.co/lYCsSJnyTk
— The Wire (@thewire_in) November 9, 2019
सीजेआई ने फैसले में बड़ी बात कहते हुए कहा, ”निर्मोही का दावा 6 साल की समय सीमा के बाद दाखिल हुआ। इसलिए खारिज है.” सीजेआई ने कहा, ”सूट 5 (रामलला) हद के अंदर माना जाएगा.” कोर्ट ने कहा, ”निर्मोही अपना दावा साबित नहीं कर पाया है। निर्मोही सेवादार नहीं है. रामलला न्याय से सम्बंधित व्यक्ति हैं, राम जन्मस्थान को यह दर्जा नहीं दे सकते.”
“If #BabriMasjid was not demolished on December 6, 1992, what would have been the judgment of the Supreme Court," Asaduddin Owaisi asked https://t.co/1HmHmtMyDu #AyodhyaVerdict
— The Hindu (@the_hindu) November 9, 2019
इसके बाद कोर्ट ने कहा, ”पुरातात्विक सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते. हाई कोर्ट के आदेश पर पूरी पारदर्शिता से हुआ। उसे खारिज करने की मांग गलत है. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस में अपने दावे को बदला। पहले कुछ कहा, बाद मे नीचे मिली रचना को ईदगाह कहा. साफ है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बना था.”
कोर्ट ने कहा, ”नीचे विशाल रचना थी, वह रचना इस्लामिक नहीं थी. वहां मिली कलाकृतियां भी इस्लामिक नहीं थी. ASI ने वहां 12वी सदी की मंदिर बताई। विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज़ें इस्तेमाल हुईं। कसौटी का पत्थर, खंभा आदि देखा गया. ASI यह नहीं बता पाया कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं. 12वी सदी से 16वी सदी पर वहां क्या हो रहा था। साबित नहीं.”
Installation of idols in the mosque in 1949 was illegal, holds the Supreme Court. The demolition of the #BabriMasjid was also unlawful, says the court. But yet it rules the right of the illegally installed deity over the land. #Twitterati not amused. https://t.co/T44o6woNjc
— National Herald (@NH_India) November 9, 2019
कोर्ट ने कहा, ”हिन्दू अयोध्या को राम भगवान का जन्मस्थान मानते हैं। मुख्य गुंबद को ही जन्म की सही जगह मानते हैं. अयोध्या में राम का जन्म होने के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया. विवादित जगह पर हिन्दू पूजा करते रहे थे. गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन से हिन्दू दावा झूठा साबित नहीं हुआ.”
कोर्ट ने कहा, ”रामलला ने ऐतिहासिक ग्रंथों, यात्रियों के विवरण, गजेटियर के आधार पर दलीलें रखीं. चबूतरा, भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है। हिन्दू परिक्रमा भी किया करते थे. लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता.”
Hashim Ansari's son Iqbal Ansari's first reaction on SC verdict,says fully satisfied with the Court's decision.Sends message to all in country for peace and calm.Says it will be on govt to decide where to give land for a mosque and it will be accepted by us#AYODHYAVERDICT pic.twitter.com/WdMse08Qsx
— Yusra Husain (@yusrahusain) November 9, 2019
कोर्ट ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ”सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जगह को मस्ज़िद घोषित करने की मांग की है. इस सूट को हम सीमा के अंदर मानते हैं. सिर्फ विवादित ढांचे के नीचे एक पुरानी रचना से हिंदू दावा माना नहीं जा सकता.” कोर्ट ने कहा, ”मुसलमान दावा करते हैं कि मस्ज़िद बनने से 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे। लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं है.”
कोर्ट ने कहा, ”हिंदुओं के वहां पर अधिकार की ब्रिटिश सरकार ने मान्यता दी, 1877 में उनके लिए एक और रास्ता खोला गया. कोर्ट ने कहा कि अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों की नमाज बंद हो जाने का कोई सबूत नहीं मिला. अंग्रेज़ों ने दोनों हिस्से अलग रखने के लिए रेलिंग बनाई.”
DG prosecution Ashutosh Pandey on security preparedness in Ayodhya. Says 60 companies of PAC, paramilitary and RAF and 1200 police constables deployed in #Ayodhya along with 35 cctvs and 10 drone cameras.
Claims 10,000 pilgrims have visited ayodhya since morning#AYODHYAVERDICT pic.twitter.com/uIvhYdlwPB— Yusra Husain (@yusrahusain) November 9, 2019
कोर्ट ने कहा, ”1856 से पहले हिन्दू भी अंदरूनी हिस्से में पूजा करते थे, रोकने पर बाहर चबूतरे की पूजा करने लगे. फिर भी मुख्य गुंबद के नीचे गर्भगृह मानते थे, इसलिए रेलिंग के पास आकर पूजा करते थे.”
कोर्ट ने कहा, ”1934 के दंगों के बाद मुसलमानों का वहां कब्ज़ा नहीं रहा। वह जगह पर exclusive poseission साबित नहीं कर पाए हैं. जबकि यात्रियों के वृतांत और पुरातात्विक सबूत हिंदुओं के हक में हैं.”
कोर्ट ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि 6 दिसंबर 1992 को स्टेटस को का ऑर्डर होने के बावजूद ढांचा गिराया गया. लेकिन सुन्नी बोर्ड एडवर्स पोसेसन की दलील साबित करने में नाकाम रहा है. लेकिन 16 दिसंबर 1949 तक नमाज हुई. कोर्ट ने कहा कि सूट 4 और 5 में हमें सन्तुलन बनाना होगा, हाई कोर्ट ने 3 हिस्से किये, यह तार्किक नहीं था.
कोर्ट ने कहा, ”हर मजहब के लोगों को एक जैसा सम्मान संविधान में दिया गया है. बाहर हिंदुओं की पूजा सदियों तक चलती रही। मुसलमान अंदर के हिस्से में 1856 से पहले का कब्जा साबित नहीं कर पाए.”
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बड़ी बात कही कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.” कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.
फैसले से पहले यूपी समेत उत्तर भारत में अलर्ट
फैसले से पहले उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी जिलों में सुरक्षा के लिहाज से धारा 144 लगाई गई थी. फैसले के मद्देनजर लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, रामपुर जैसे संवेदनशील जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. अयोध्या की तरफ जाने वाले रास्तों को सील कर दिया गया है.
अयोध्या और इसके आसपास वाले इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है कि परिंदा भी न पर मार सके. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने 40 कंपनी अतिरिक्त सुरक्षा बल उत्तर प्रदेश को उपलब्ध कराए हैं. उत्तर प्रदेश में 11 तारीख तक सभी स्कूल-कॉलेज और शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश दिए गए हैं. यूपी, दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में आज स्कूलों को भी बंद रखा गया है.