जन्मभूमि’ या ‘जन्मस्थान’ शब्द का इजाद 1985 के बाद हुआ- मुस्लिम पक्षकार

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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई केदौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार के वकील से सवाल किया कि आप कह रहे हैं कि 1949 में बीच गुंबद के नीचे मूर्ति रखी गई, लेकिन एक गवाह का बयान है कि वह 1935 में गुंबद के नीचे पूजा करने के लिए गया था। वहीं मुस्लिम पक्षकारों की ओर से कहा गया कि ‘जन्मभूमि’ या ‘जन्मस्थान’ शब्द का इजाद 1985 के बाद हुआ। इससे पहले इनका जिक्र नहीं होता था।

 

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई के 27वें दिन सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा, 1949 के मुकदमे के बाद तमाम गवाहों के बयान सामने आए हैं, लेकिन किसी भी गवाहों के बयान से यह पता नहीं चलता कि लोग रेलिंग के पास पूजा के लिए क्यों जाते थे।

दरअसल बुधवार को सुनवाई के दौरान संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस डीवाई चंदूचूडे ने पूछा था कि हिन्दू राम चबूतरे केपास बने रेलिंग के पास पूजा करने के लिए क्यों जाते थे?

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, धवन ने कहा कि गवाहों के बयान हैं कि वहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही पूजा करते थे। ऐसा औरंगजेब के जमाने से हो रहा है। हिन्दू पक्ष के एक गवाह के बयान से साफ है कि बीच वाले गुंबदे के नीचे मूर्ति नहीं थी। वर्ष 1949 में जबरन बीच गुंबद के नीचे मूर्ति रखी गई थी।

इस पर पीठ के सदस्य जस्टिस अशोक भूषण ने राम सूरत तिवारी के बयान का हवाला दिया। जस्टिस भूषण ने कहा कि उसने अपने बयान में कहा है कि जब वह 12 वर्ष के थे तब से वह अपने पिता के साथ अयोध्या जाते थे।

गवाह ने कहा कि 1935 में बीच गुंबद के नीचे रखी मूर्तियों की पूजा करने जाते थे। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं है कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जो यह साबित करे कि बीच गुंबद के नीचे पूजा नहीं होती थी। जस्टिस भूषण ने धवन से कहा कि आप साक्ष्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।

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