ललितपुर। भारत में नशे की लत युवाओं के बीच में इतनी बढ़ चुकी है, जिसका अंदाजा आए दिन समाचार पत्रों में पढऩे को मिलता है कि युवाओं से नशीले पदार्थ पकड़े गए और कुछ नशे की लत के लिए पैसे न मिलने पर मां-बाप के ऊपर हमला कर दे रहे हैं, जिसके कारण मां-बाप मृत्यु की आगोश में समाए जा रहे हैं और वे नशे से चूर होते जा रहे हैं। यह नशा समाज के प्रत्येक वर्ग को खोखला कर रहा है, लेकिन अकेली सरकारें कुछ नहीं कर सकती हैं। जब तक जन सहयोग समाज में नहीं मिलता है, तब तक समाज नशामुक्त नहीं हो सकता है। नशे के सौदागरों को समाज और पुलिस मिलकर समाप्त कर सकती है। जब तक समाज के बुद्धिजीवी लोग पुलिस और प्रशासन का सहयोग नहीं देंगे तब तक यह नशा बढ़ता ही रहेगा। आज देखने और सुनने को मिलता है कि स्कूल और कॉलेजों में पढऩे वाले छात्र भी नशे की चपेट में आ चुके हैं। यही नहीं कहीं-कहीं बड़े संस्थानों में तो लड़कियां भी इसकी चपेट से अछूती नहीं हैं जो समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक है, नशा एक विनाशकारी समस्या है। युवा पीढ़ी देश के भविष्य के लिए संभावित शक्ति है और यदि उनके वर्तमान जीवन इस तरह के व्यसनों के तहत डूब गए हैं तो देश का भविष्य निश्चित रूप से अंधेरे में बदल जाएगा। यह वास्तव में भारतीय समाज के लिए भी एक गंभीर मामला है और इस मामले को समाज के लोगों के सामूहिक प्रयासों के साथ हल किया जाना चाहिए। समाज का वर्तमान परिदृश्य पहले के मुकाबले पूरी तरह से बदल गया है। अब शहरी क्षेत्रों में परिवार एकल हो रहे हैं। माता-पिता दोनों कामकाजी हैं। इसलिए वे अपने बच्चों को गुणात्मक समय नहीं दे पा रहे हैं। नैतिक मूल्यों का महत्व और विश्वास परिवारों में भी कम हो गया है। बड़ों की उपेक्षा हो रही है, बच्चे ज्यादातर समय अपने घरों से बाहर किसी को साझा करने और खुद को अभिव्यक्त करने के लिए देखते हैं और यह भी कभी-कभी उन्हें गलत साथियों के समूह में शामिल करने के लिए प्रेरित करता है। परिवार के सदस्यों के बीच संचार कम होता जा रहा यह भी गलत राह पकडऩे का मुख्य कारण है।
ललितपुर में भी बड़े शहरों से मंगाई जा रही नशे की खेप सूत्रों की माने तो जिले में भी नशे का दामन बढ़ता ही जा रहा है। बड़े शहरों में पढऩे वाले स्थानीय युवाओं से चर्चा में नाम बताने की शर्त पर वह बताते है कि ललितपुर जैसे छोटे शहर में भी बड़े घरानों के बच्चे ग्रुप बना कर नशे का इस्तेमाल कर रहे है और ब्रांडडे नशे के आदी हो गये है। ऐसे मादक पदार्थ जो आम आदमी की पहुंच से दूर है, उनके द्वारा उन महंगे नशे को इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में समाज में ऊंचे पायदान पर बैठे उन अभिभावकों को अपने बच्चों को सम्हालने की आवश्यकता है। कही ऐसा ना हो एक दिन देर हो जाये और हम देखते रह जाये। हालांकि अभिभावकों को अपने बच्चों और उनके सहयोगियों पर पूर्ण विश्वास रहता है फिर भी समाज का अंग होने के नाते हर व्यक्ति एवं स्थानीय प्रशासन को इस प्रकार की विकृतियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।